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अब केंद्रीय विवि के लिए एंट्रेंस एग्जाम परिणाम के आकलन किए बिना लागू की गई योजना
- By 24hnbc --
- Sunday, 27 Mar, 2022
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर, 28 मार्च 2022। हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस परीक्षा की घोषणा की है । इससे छात्रों और उनके पालकों के बीच हर्ष है किंतु इस निर्णय के पीछे की सोच देश के पेडरल स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वाली है साथ ही आरएसएस का छुपा एजेंडा लागू किया जा रहा है। देश का एक राज्य तमिलनाडु जिस तरह से जेईई और नीट क्रमशः इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम से परेशान हैं विश्वविद्यालयों के कॉमन एंट्रेंस एग्जाम के बाद देश के कई राज्य परेशान होने वाले हैं एग्जाम को लागू करने के पहले तीन बातों का किसी ने ध्यान नहीं दिया कहा जा रहा है कि अब 12वीं परीक्षा के परिणाम और उनके अंक का विश्वविद्यालय में प्रवेश से कोई लेना-देना नहीं होगा तो छात्रों का ध्यान स्वभाविक रूप से कॉमन एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में लगेगा जबकि 12वीं की परीक्षा का परिणाम और अंक छात्रों के संपूर्ण विकास को परिलक्षित करते हैं उसमें सैद्धांतिक परीक्षा प्रायोगिक परीक्षा के साथ प्रोजेक्ट वर्क व्यक्तित्व विकास को समग्र मूल्यांकन करते हुए दिखाता है जबकि एंट्रेंस एग्जाम की पद्धति एक विशेष तरीके की परीक्षा है और उस प्रणाली में पास कराने के लिए कोचिंग का धंधा देश में खूब फल फल रहा है ऐसे में 12वीं की तैयारी के स्थान पर छात्र एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग पर ज्यादा ध्यान देंगे । क्लासरूम मे पढ़ने और पढ़ाने रूचि कम होगी। दूसरी समस्या कोचिंग संस्थानों को लेकर है आम महंगाई से परेशान गार्जियन कोचिंग के एक्स्ट्रा फीस को कैसे झेलेगा मानकर चलें यह फीस हजारों में होगी सी यू ई पी में 13 से 19 भाषाओं में परीक्षा होगी यह अपने आप में विद्यार्थियों का बड़ा विस्थापन होगा कल्पना करें तमिलनाडु का लड़का बिलासपुर के कोनी विश्वविद्यालय में पढ़ने आएगा और कोनी बिलासपुर का छात्र तमिलनाडु अथवा महाराष्ट्र में पढ़ने जाएगा क्या अपनी संस्कृति से हजारों किलोमीटर दूर वह भी 18 से 20 वर्ष आयु समूह के छात्र कैसे संस्कृति के इस अंतर को ले लेंगे किंतु यहां तो इतिहास उल्टे पैर चल रहा है और शिक्षा के विश्वविद्यालय में विश्व शब्द अपना अर्थ खो रहा है और धीरे-धीरे मानसिक दिवालियापन उजागर हो रहा है हर व्यवस्था केंद्र अपने हाथों में खींच रहा है राज्य सरकारें बेबसी से देखने का नाटक कर रही है।