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शाह कुछ भी कर ले जब तक हैं राहुल मंसूबे नहीं होंगें सफल

अंबेडकर द्वारा दी गई राजनीतिक समानता को खा जाना चाहते हैं भाजपाई

24hnbc.com
बिलासपुर, 21 दिसंबर 2024। 
एक - दो बार नहीं सात बार अंबेडकर का नाम लेने के बाद जो कुछ देश के गृहमंत्री ने सदन में कहा उससे स्पष्ट हो गया कि स्वतंत्रता के बाद अथक मेहनत से देश के नागरिकों को समानता का जीवन देने के लिए जो संविधान डॉक्टर अंबेडकर ने दिया उसे संविधान के प्रति आरएसएस के लोगों को ना उसे वक्त सम्मान था ना आज.....
सतनामी समाज और कांग्रेस के युवा नेता राकेश्वर पाटले का मानना है कि पहले पूरे गुजरात को पूंजी पतियों के हवाले किया और अब ऐसा ही पूरे देश के साथ करना चाहते हैं। जीवन में तीन समानता सबसे बड़ी है राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और डॉक्टर अंबेडकर संविधान के माध्यम से यह तीनों समानता हमें दी। राजनीतिक समानता वोट के माध्यम से मिली। देश का नागरिक कोई भी हो जब वह वोट देता तो सब के वोट की कीमत एक बराबर होती है। समाजवाद के माध्यम से हम आर्थिक समानता की ओर बढ़ रहे थे। राजनीतिक समानता में युवाओं की भागीदारी को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तब बढ़ाया तब मताधिकार की आयु 21 से 18 वर्ष कर दी। 
त्रिस्तरीय पंचायत नीचे से नियोजन और राजनीतिक सामाजिक चेतना उन्हीं ने प्रदान की पर पिछले 10 साल से पूंजीवाद को जिस तरह भाजपा ने और उनकी तिकड़ी ने बढ़ाया अपने आप सामाजिक और राजनीतिक समानता समाप्त होती जाएगी। प्रभु के नाम लेने से स्वर्ग मिलता है ऐसा शाह कहते हैं। पर यह भी सत्य है कि स्वर्ग किसी ने देखा नहीं है और ज्ञानी लोग यह भी कहते हैं कि स्वर्ग और नरक दोनों लोग यही हैं। सनातन धर्म के कुछ सिद्धांत तथा स्थिति वाद को स्वीकार करने का सलाह इसलिए देते हैं की वर्ण व्यवस्था बनी रहे और वर्ग विभेद बना रहे। "जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए"। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अंबेडकर हो या बाबा फूले या मिनीमाता सभी ने आर्थिक समानता के लिए आडंबरों को छोड़ा और यही सलाह भी दी जब से छत्तीसगढ़ में फिर से भाजपा को मौका मिला है वर्ण व्यवस्था का जोर दिखने लगा है। बलौदाबाजार की घटना यही संकेत देती है। जंगलों की कटाई, आदिवासियों को हसीए पर धकेलना और जगत सेठ के लिए राज्य की पूरी प्रकृति और खनिज संपदा को जगत सेठ और जगतगुरु को समर्पित कर देना, से पता चलता है कि हमने बनाया है सेठ के लिए और उसी को कर रहे समर्पित.....
आम नागरिकों को यह समझ आ गया देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ कितने भी मुकदमा कर लिए जाएं झूठ टिकता नहीं है और राहुल गांधी जो आदर्श पर चल रहे हैं वह ऐसे दबाव से डरते नहीं है।