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कैरेक्टर में घुस कर ओतप्रोत हैं तखतपुर विधायक

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बिलासपुर, 29 अक्टूबर 2024।
1953 में जन्मे चार बार विधायक, एक बार हारे धर्मजीत सिंह इस बार भारतीय जनता पार्टी के कमल छाप पर चुनाव जीतकर तखतपुर विधायक हैं। इन दोनों वे भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक कार्यक्रमों में जिस तरह से सक्रिय हैं लगता है वे कभी कांग्रेस में थे ही नहीं, वे 71 साल के हैं और भारतीय जनता पार्टी की प्रशंसा जिस तरह से करते हैं लगता है भाजपा में ही उनका राजनीतिक जन्म हुआ। तखतपुर के पूर्व वे लोरमी विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। तीन बार कांग्रेस, एक बार जेसीसीजे की टिकट पर जीत कर विधायक बने। 
2001-2003 जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे तब योगी जी से धर्मजीत की नजदीकियां सत्ता के गलियारों में ही नहीं भाजपा के हलकों में भी चर्चा का विषय रहा करती थी। उसे समय एक आईपीएस अधिकारी के परिवीक्षा काल में ही जांच विठहलवाकर मध्यप्रदेश रवाना कर देने को उनके प्रभाव से जोड़कर देखा जाता था। उन्हें राजनीतिक जीवन में एक बार हार का सामना करना पड़ा उसे चुनाव में आज के केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने ही उन्हें चुनाव के मैदान में परास्त किया था। चर्चा तो यह भी रही थी उसे चुनाव में हार के कारणों में योगी जी की कृपा दृष्टि न मिलाना भी एक कारण था। उन्हें 2001 से ही जोगी गुट का माना जाता था यहां तक की जब अजीत जोगी ने अपना प्रकट राजनीतिक दल बनाया तो धर्मजीत को उनके साथ जाने में कोई संकोच नहीं हुआ। योगी जी के पुत्र अमित जोगी के साथ कभी संबंध मीठे रहे तो कभी खट्टे। कभी-कभी तो कड़वे भी हो गए और स्तर छोड़ते हुए एक दूसरे पर आप भी लगा बैठे। 
छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी के जितने अच्छे संबंध भाजपा से रहे वैसे ही संबंध धर्मजीत के भी रहे। यहां तक की विधानसभा में ऐसे कई मौके आए जब बतौर विधायक धर्मजीत बिलासपुर विधायक और मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ बोलने से बचते देखे गए। आज यही कारण है कि धर्मजीत भाजपा में सफलतापूर्वक विधायक कर रहे हैं अन्यथा बाहरी नेता भाजपा में हमेशा बाहरी ही होता है पर तखतपुर विधायक की चाल ढाल और रीति नीति देखकर कहा जा सकता है कि वे जब कांग्रेस से जीतते रहे होंगे तब भी उनकी आत्मा लोटस में रही होगी।