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मस्तूरी विधानसभा सीट के राजनीतिक समीकरणों में बहुजन विचारधारा का प्रवेश

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समाचार -
बिलासपुर, 4 जून 2023। मस्तूरी में हार जीत कांग्रेस और भाजपा की होती है पर धीरे-धीरे बहुजन विचारधारा ने यहां के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया। वर्ष 2018 का चुनाव बीजेपी विरुद्ध बसपा हो गया था। कारण अजीत जोगी के नेतृत्व वाली जेसीसी ने अपनी तमाम तैयारियों के बावजूद यह सीट बसपा को समझौते में दी, बसपा ने अपना प्रभाव इतना जबरदस्त डाला कि उसे यहां पर दूसरा स्थान मिला कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंच गई। कांग्रेस की सरकार बनी चुनाव के बाद कांग्रेस ने जब मस्तूरी के संगठन पर काम प्रारंभ किया तो जिले के तमाम संगठनों के अपेक्षा मस्तूरी का संगठन सबसे प्रभावशाली दिखाई देता है, पर यह तस्वीर का एक हिस्सा है इस राजनीतिक दल में कुछ ऐसा बामसेफ मौजूद रहे जिन्होंने अपनी जड़ को कमजोर करने का काम किया जिस पर वह बैठे हैं इसे विचारधारा की लड़ाई कहा जा सकता है। मस्तूरी के कुछ नेता पार्टी को मजबूत करने के लिए लखनऊ तक यात्रा करते हैं याद रखें यह वह समय था जब छत्तीसगढ़ का प्रभाव लखनऊ में था। जिस व्यक्ति को प्रभार मिला था वह पूर्व आईएएस अधिकारी रहा स्वयं बहुजन समाज से आता था और उनके सगे संबंधी भाजपा में बताए जाते हैं याद करें उनका वह दौरा जिसमें उन्होंने मस्तूरी के तमाम नेताओं का स्वागत द्वार छोड़कर पेट्रोल पंप पर स्वागत कराना मुनासिब समझा और यही से मस्तूरी कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डालना शुरू हुआ। हाल ही में पार्टी नेताओं की इंटरसिटी बैठक भी मस्तूरी के हालात की ओर इशारा करती है। इस बीच छत्तीसगढ़ का प्रभार बदला है पर मस्तूरी में बामसेफ कांग्रेस का कपड़ा पहने पूर्व की अपेक्षा तेजी से अपनी उपस्थिति और काम में लगा है। 
दीवाल पर अद्भुत मजबूती से काम हो रहा है यहां तक कि उत्साही बामसेफ ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी स्वयं से नीचे दिखाने में चूक नहीं की यदि समय रहते कांग्रेस के असली नेता बामसेफ की शतरंज को नहीं समझे तो 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में मस्तूरी कांग्रेस के लिए अपेक्षित परिणाम देने वाली सीट नहीं रहेगी।