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लोकतंत्र में स्थाई विपक्ष है पत्रकार राहुल को मिली सजा से जागना हमें ही है

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समाचार -
बिलासपुर, 24 मार्च 2023। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का एक चर्चित वाक्य है नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आया हूं और सरकार ने बड़े घटिया तरीके से इस दुकान को बंद कराने की ठान ली है। विपक्ष का यूं गला दबाने से यदि टीट फौर टेट पर यदि अन्य राजनीतिक दल और उसके प्रतिनिधि चल पड़े तो इस देश में आपराधिक मानहानि के इतने प्रकरण रोज दर्ज होंगे कि उनकी सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट बिठालने पढ़ेंगे तब भी प्रकरण अनवरत लगे रहेंगे। राहुल गांधी को जो सजा मिली है उसके परिपेक्ष में विपक्ष डरेगा या नहीं इसकी चिंता विपक्ष करें क्योंकि लोकतंत्र में आज जो विपक्ष है वह कहीं सत्ता है और जो सत्ता है कल विपक्ष हो जाएगा। असली चिंता तो लोकतंत्र के इस स्थाई विपक्ष पत्रकारों को करना चाहिए जिन्हें रोज सत्ता से पूछना है सत्ता के खिलाफ लिखना है और जब खोजने जाएंगे तो जड़े तो सत्ता की ही खो देंगे ऐसे में रोज कितनों की मानहानि होगी और पत्रकार को जब 499, 500 आईपीसी के तहत जब दो-दो साल की सजा होगी तो सजा भुगतने के बाद और सजा भुगतने के पहले कितने ही पत्रकारों के चूल्हे चौके बुझ जाएंगे नहीं तो वह अपनी इज्जत, मान, मर्यादा कहां-कहां रहन गिरवी रख कर पत्रकारिता कर पाएंगे शो राहुल गांधी के पीछे आज यदि सबसे पहले किसी को खड़ा होना चाहिए तो तो फ्री प्रेस हम केंचुआ मीडिया की बात नहीं कर रहे हैं जिसे आजकल गोदी मीडिया कहा जाता है। कुछ ही घंटे पहले हमने गोयंका अवॉर्ड के दौरान मेजवान संपादक का बेवाक भाषण सुना उन्होंने बड़े ही इशारों में देश के चीफ जस्टिस का स्वागत करते हुए कह ही दिया यहां पर सब कुछ पारदर्शी है, सीलबंद कुछ नहीं है जिस पर मेहमानों ने कहा कि लगा दिए तीन के चेहरे पर आग बरसती नजर आ रही थी एक भाजपा के प्रधानमंत्री दूसरे पूर्व बिहारीया कानून मंत्री और तीसरा बीए पास अनु इतना ही नहीं संपादक महोदय ने मुख्यमंत्री के हाथों प्रशंसा पाने वाले पत्रकार को बर्खास्त करने वाला किस्सा भी सुना दिया तब तो सत्ता पक्ष के लोगों को आग ही लग गई अब कल्पना करें कि यदि मानहानि के प्रकरण दर्ज होना शुरू हुए तो लाइन लगने वाली है। मीडिया का तो काम ही आइना दिखाना है और यही काम विपक्ष भी करता है लोकतंत्र में बिना विपक्ष और बिना फ्री प्रेस शेष लोग क्या केवल ताली बजवाने का काम करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान नेता याद करें स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई को लोग दूर-दूर से सुनने क्यों आते जाते थे वाजपेई की सभा के लिए आंगनवाड़ी से भरकर कार्यकर्ता नहीं लाना पड़ता था यदि उस समय की सत्ता ने 499, 500 का उपयोग किया होता तो सजायाफ्ता और आदतन अपराधी में परिवर्तित होते आदरणीय वाजपेई जी को कितना समय लगता या फिर बीपी बढ़ने के कारण पक्षाघात हो जाता क्योंकि मनोविज्ञान कहता है अच्छा भाषण और अच्छा लेखन इरिटेशन के बाद ही शुरू होता है। जनहित में आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है देश के बैंकों का कर्जा खाकर भागने वालों में मोदी सरनेम की संख्या ज्यादा है इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम और मानहानि कर ले और साथ में क्षमा भी मांग रहे हैं क्योंकि जेल जाने की क्षमता हमें में नहीं है पर हम यह पूछना चाहते हैं कि जितने लोग बैंकों का कर्जा खाकर देश से भाग गए उनमें भारत देश के गुजरात राज्य के लोग ही क्यों हैं क्या अन्य राज्यों में हीरे के व्यवसाई नहीं होते। दूसरा प्रश्न जितने लोग बैंक का कर्जा खाकर विदेश भागे उनमें एक भी एसटी, एसी क्यों नहीं है अधिकतर भागने वाले सवर्ण लोग ही हैं क्या कर्जा खाकर देश छोड़ देना सवर्णों का हालिया संस्कार बन गया है । और अब अंतिम बात देश में सेना के वीर सपूतों को नौकरी करते हुए रिटायर्ड होने के बाद मरणोपरांत जितने भी पदक मिलते हैं या दिए जाते हैं उनमें से गुजरातियों को कितनी बार पदक मिला और भारतीय सेना में गुजरात का प्रतिनिधित्व कितना है क्या मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिल नाडु, महाराष्ट्र, पंजाब के हिस्से हैं कुर्बानी देना लिखा है शेष शासन करना व्यापार में धोखा देकर बैंकों का कर्जा खाजाना और विदेश भाग जाना चिकनी चुपड़ी बातें, काला धन वापस लाना, जैसे जुमले से मतदाता के साथ ठगी करना और सत्ता में आ जाना यह गुण इसी राज्य के नागरिकों का है।

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