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आखिरकार वीआरसी को मिला स्वास्थ्य विभाग का नोटिस 2 दिन में दस्तावेज दिखाने का निर्देश

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । लगभग ढाई साल तक बिलासपुर के नागरिकों को बिना पंजीयन थेरेपी दे रहे वीआरसी के संचालक को स्वास्थ्य विभाग में हाजिरी लगानी पड़ी । सितंबर के दूसरे सप्ताह में हमने वीआरसी के बिना पंजीयन चलने की खबर प्रसारित की थी उसके बाद जिले का स्वास्थ्य विभाग जागा और उसने मध्य नगरी चौक स्थित इस ऑक्यूपेशनल थेरेपी सेंटर का निरीक्षण किया साथ में 2 दिन के भीतर आवश्यक दस्तावेज के साथ कार्यालय में उपस्थित होने का नोटिस वीआरसी के संचालक को दिया गया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए मिले 2 दिन का इस्तेमाल सेंटर संचालक ने जुगाड़ खोजने में किया उसके बाद 16 सितंबर को सरकारी दफ्तर में उपस्थिति लगाई यह बात तो उजागर हो गई कि जो डॉक्टर अपने आवेदन को स्वास्थ्य विभाग में लंबित होना बता रहा था वह कभी आवेदन किया ही नहीं था। वीआरसी संचालक महाराष्ट्र के जिस कॉलेज की डिग्री रखते हैं उसमें भी संदेह हैं पड़ोसी प्रदेश के नागपुर शहर से फिजियोथैरेपी की डिग्रियां लेकर सैकड़ों लोग इन दिनों राज्य भर के अलग-अलग जिलों में फिजियोथैरेपी सेंटर खोले बैठे हैं इनमें से कई की डिग्रियां और डिप्लोमा संदेह के घेरे में हैं ऐसे में वीआरसी ने स्वास्थ्य विभाग के सामने पंजीयन के लिए जो दस्तावेज उपलब्ध कराएं हैं पहले तो उनकी विश्वसनीयता की जांच हो जानी चाहिए ताकि शहर के नागरिकों के साथ कोई धोखा ना हो जो व्यक्ति ढाई साल तक पंजीयन भी न कराएं उसकी डिग्री पर संदेह क्यों न किया जाए....? इतना ही नहीं वीआरसी मध्य नगरी क्षेत्र के जिस इमारत में सेंटर संचालित करता है वह क्षेत्र आवासीय श्रेणी में आता है और सेंटर की गतिविधि व्यवसायिक है ऐसे में नगर पालिक निगम बिलासपुर को भी देखना चाहिए कि संपत्ति कर पटाने की श्रेणी का भी एक बार व्यापक सर्वे हो।