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धर्म परिवर्तन बना दण्डनीय अपराध

भोपाल 24HNBC 

जोर-जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन कराने और धोखा देकर विवाह रचाने की वारदात पर रोक लगाने के लिए मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 लागू किया गया है। गौरतलब है कि राज्य में बीते साल धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में पारित किया गया था। विधानसभा में भी इस अधिनियम को पारित किया गया था। भाजपा की सत्ता में हुई वापसी के बाद इसकी चर्चा जोरों पर थी। विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम राज्यपाल की अनुमति के बाद मध्यप्रदेश के राजपत्र में 27 मार्च 2021 को इस कानून को प्रकाशित कर दिया गया है।मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत अब एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन दंडनीय अपराध माना गया है। इसी तरह धर्म परिवर्तन करने के आशय के साथ किया गया विवाह भी अकृत तथा शून्य माना जाएगा। इस संबंध में संपरिवर्तित व्यक्ति खुद के साथ उसके माता—पिता अथवा सहोदर भाई—बहन न्यायालय की अनुमति से याचिका लगा सकेंगे। धर्म परिवर्तन में व्यक्ति ही नहीं बल्कि कोई संस्था या संगठन इस अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन करता है, उसे भी सजा होगी। इस अधिनियम के अधीन मामलों की जांच उप निरीक्षक स्तर व उससे उच्च अफसर ही कर सकेंगे।अधिनियम में कहा गया है कि कोई व्यक्ति जो धर्म-सपंरिवर्तित करना चाहता है, उसे 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट के सामने यथोचित आवेदन करना होगा। उसे समस्त कारणों सहित यह बताना होगा कि स्वयं की स्वतंत्र इच्छा से तथा बिना किसी दबाव या प्रलोभन से अपना धर्म-संपरिवर्तन करना चाहता है। हालांकि इस अधिनियम के अनुसार तय नियमों का उल्लंघन करके किए गए विवाह से जन्मा बच्चा जरूर वैध समझा जाएगा। ऐसे बच्चे का संपत्ति का उत्तराधिकार कानू के अनुसार होगा। नियमानुसार घोषित शून्य और अकृत विवाह से जन्मे बच्चे को अपने पिता की सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त रहेगा। शून्य और अकृत विवाह घोषित होने के बावजूद विवाहिता और जन्म लेने वाली संतान अधिनियम अनुसार भरण-पोषण पाने के हकदार होंगे।