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प्राधिकृत और परिसमापक दोनों नहीं मानते विभाग का आदेश

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समाचार - नवंबर, 24
 
 बिलासपुर। राज्य सरकार के सबसे कमजोर मंत्रालयों में से एक सहकारिता का बिलासपुर में आलम यह है कि यहां विभागीय निरीक्षक अपने डीआर और जेआर के आदेशों को न मानने का रिकॉर्ड कायम करते दिखाई देते हैं। हमारी बात को सही साबित करने के लिए एक उदाहरण पर्याप्त है। छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी हाउसिंग सोसाइटी में से एक कोयला कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति लगरा को वर्ष 2000 के पूर्व जेआर के एक आदेश से भंग कर दिया गया और उस पर प्राधिकृत अधिकारी विट्ठाल दिया गया, प्राधिकृत अधिकारी ने दिखावटी कमान तो संभाली पर उन अनियमितताओं को दूर नहीं कराया जिसके कारण सहकारी समिति भंग हुई थी । बताते हैं कि प्राधिकृत अधिकारी जो अब शासकीय सेवा से रिटायर्ड हो चुके हैं ने सहकारि समिति के भ्रष्ट पदाधिकारियों से आर्थिक लाभ प्राप्त किए. .... और कोयला कर्मचारी गृह निर्माण समिति में अनियमितता होने दी अनियमितताओं को दूर नहीं किया लिहाजा एक पृथक शिकायत के कारण इसी सहकारी समिति पर परिसमापक विट्ठाल दिया गया । विभाग के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत का अनुपम उदाहरण है जिसे प्राधिकृत अधिकारी बनाया गया था उसे ही परिसमापक अधिकारी बना दिया गया। दूध की रखवाली बिल्ली और कुत्ते के भरोसे छोड़ दी गई. .... ऐसा कहा जा सकता है। 
जब सेवानिवृत्ति का माह समय पास आया तो श्री तिवारी ने अपने अधिकारी को एक पत्र लिखकर स्वास्थ्य के आधार पर परिसमापक अधिकारी का दायित्व ना दिए जाने का अनुरोध कर लिया और मिलीभगत का पारितोष यह की परिसमापक अधिकारी एक महिला निरीक्षक को बनवा दिया। इस आदेश को जारी हुए महीनों बीत चुके हैं पर मैडम अग्रवाल जिन्हें कोयला कर्मचारी गृह निर्माण समिति का परिसमापक नियुक्त हुए आधे वर्ष से ज्यादा हो गया है आज तारीख तक कार्यभार नहीं संभाल पाई। ऐसे में सहकारी समिति लगरा के हितग्राही और देनदारी देनदारी वाले भटक रहे हैं। 
सूत्र बताते हैं कि परिसमापक अधिकारी नियुक्त किए जाने एवं प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किए जाने के बावजूद सहकारी समिति के पदाधिकारी अपना दैनिक काम निपटाते रहे । और विधि शून्य होने के बावजूद खातों के संचालन के रोक के बावजूद धनशोषण संबंधी काम करते रहे। 
ऐसी ही एक सहकारी समिति जिसे कोयला कर्मचारी गृह निर्माण समिति से अपने किए गए काम का बिल भुगतान प्राप्त करना है बरसों से भटक रही है। भुगतान प्राप्ति के लिए इस सहकारी समिति ने धारा 64 का वाद डीआर के समक्ष प्रस्तुत किया वाद प्रस्तुत हुए 2 वर्ष का समय हो चुका है प्रकरण की आर्डर शीट बिना मतलब के शब्दों से भरी पड़ी है पर मामला आवेदक उपस्थित अन आवेदक के अधिवक्ता उपस्थित प्राधिकृत अधिकारी अनुपस्थित परिसमापक को उपस्थित के आदेश जैसे वाक्यों से 25 पेज भरे जा चुके हैं। शिक्षित स्वरोजगार नाम की सहकारी समिति के सदस्य पदाधिकारी अपने पैसों के लिए चक्कर काटते रहते हैं। पूरे प्रकरण को देखकर यही लगता है कि कोयला गृह निर्माण सहकारी समिति लगरा के कथित पदाधिकारियों के पास नोट की खनक ज्यादा है। तभी प्राधिकृत अधिकारी और परिसमापक कोयला कर्मचारी सहकारी समिति में कार्यभार ग्रहण नहीं करते, जब कार्यभार ग्रहण ना करने का दाम मिले मुख्यालय से लगरा न आने की कीमत मिले तो चार्ज ना लेने में ही फायदा है।