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फीता काटकर उपलब्धि बताने वाले नेता अब क्यों नहीं जाते संप्रेक्षण गृह

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । राज्य शासन का एक ऐसा विभाग जहां पर संविदा पर रखे गए मानवश्रम पीएससी से चयनित होकर आए कर्मचारी अधिकारियों पर भारी है । यह विभाग है महिला एवं बाल विकास विभाग बिलासपुर के बाल संप्रेक्षण गृह की पूरी जिम्मेदारी संविदा पर रखें अधीक्षक के जिम्मे हैं । कहने को यहां पर ऐसे अपराधियों को लाया जाता है जो अभी बालिग नहीं हुए हैं किंतु यह संस्था पूरी तरीके से अपाचारी बालकों के मर्जी से चलती है जिसे जब फरार होना होता है यहां से चलता बनता है। 10 मई को दो बालक फरार हो गए जिस दिन यह संस्था से भागे हैं उसके ठीक 1 दिन बाद उनके जमानत आवेदन पर सुनवाई होनी थी, संविदा पर रखे गए कर्मचारी स्वयं को हर मामले में क्लीन बताते हैं और अपनी कार्यकुशलता का प्रमाण यह देते हैं कि हमारी संस्था में तो जज साहब रोज आते हैं और यह देखिए हमारी काम की प्रशंसा कर कर गए यदि हमारी संस्था में कोई गड़बड़ी होती तो जज साहब हमको प्रशंसा क्यों लिखते असल में वे यह नहीं बताते कि संप्रेक्षण गृह में बैठाले गए जज की भूमिका प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप की नहीं है। बिलासपुर संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक अपने काम में निपुण जाते हैं कि उन्हें 3 संस्थाओं का एक साथ प्रभार मिला है। ऐसे में वे दया के पात्र हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग बिलासपुर के अधिकारियों में ऐसा नहीं है कि कोई अधीक्षक पद के लायक नहीं है लेकिन जानबूझकर एक संविदा कर्मचारी को अधीक्षक बनाकर रखा जाता है इसके पीछे संस्था का बजट है और इस बजट को तभी अधिकारी मनमर्जी तरीके से खाली कर सकते हैं जब अधीक्षक पद पर संविदा का कर्मचारी बैठा हो। आश्चर्य की बात है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के छोटे-छोटे कार्यक्रमों में कूद कूद कर जाने वाले नेता फोटो खींचा कर सोशल मीडिया पर डालने वाले नेता दो आपाचारी बालकों के फरार हो जाने के बाद संप्रेक्षण गृह का निरीक्षण करने नहीं गए इससे पता चलता है कि नेता और आपाचारी गृह के सदस्य भले ही वे विधायक हो या आयोग के सदस्य केवल उद्घाटन, बर्थडे, ट्रांसफर, पोस्टिंग के कामों में दिलचस्पी रखते हैं जहां कड़वा पीने का सवाल आता है तो वहां से दूर ही रहते हैं।