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नाम छोटे हो या विशाल व्यवस्था के सामने हमारी हैसियत चींटी से अधिक नहीं. .... संदर्भ आबकारी विभाग
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। जेल में छोटे लाल यादव की मौत व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह नहीं कलंक है और ऐसे कलंक बिलासपुर के प्रशासनिक हलकों में आम है यह कोई पहला अवसर नहीं है कि पचपेड़ी थाना क्षेत्र के चिल्हाटी निवासी आदरणीय छोटे लाल यादव जी आबकारी विभाग की भेजा वसूली के ना केवल शिकार हुए बल्कि उन्हें इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आबकारी विभाग में कई कर्मचारी काम तो सरकारी करते हैं किंतु उनकी हरकतें मानवता को शर्मसार करने वाली होती है । हम दो तथ्य बता रहे हैं जो पूरी तरह सत्य है जिस दिन 20 लीटर देसी दारू के मामले में श्री यादव लपेटे में आए उन्हीं दिनों में जिला जीपीएम क्षेत्र में एक अन्य यादव को आबकारी विभाग के निरीक्षक ने महुआ के चक्कर में चमकाया था उसका कसूर केवल इतना था कि वह घर पर गाय पालता था और अपनी गायों को परंपरागत रूप से स्वस्थ रखने के लिए महुआ खिलाना चाहता था दूर की सोच के तहत आबकारी निरीक्षक ने महुआ को शराब से जुड़ा और गाय पालने वाले यादव को सीधा फरमान सुनाया ₹20000 लेकर आ जाओ अन्यथा रगड़ दूंगा। समय रहते गाय पालने वाले यादव को अपने राजनीतिक समीकरण याद आ गए और वह बिना ₹20000 दिए जेल जाने से बच गए। 3 वर्ष पूर्व बिलासपुर कलेक्ट्रेट में सीपत क्षेत्र के एक ग्रामीण ने लिखित में आबकरी विभाग के निरीक्षक पांडे के खिलाफ लिखित रूप से शिकायत की थी कि उसने रात को घर पर जबरदस्ती कि घर के अंदर अपने से लाया हुआ माल रख दिया और किराना दुकान में लगा सीसीटीवी कैमरा तोड़ दिया और उसका हार्ड डिस्क अपने पास रख लिया रात भर अपनी गाड़ी में बंधक बनाकर घुमाया एनटीपीसी मटेरियल गेट के पास स्थित एक ढाबे में समझौता हुआ। पीड़ित ने अपने रिश्तेदारों से पैसा बुला कर दिया रिश्वत की बचत धनराशि ₹100000 दूसरे दिन 11 बजे के पूर्व देने का वादा किया वाह रे व्यवस्था दूसरे दिन बचत रकम के लिए साहूकार स्टाइल में पांडे और उनके साथियों ने दबाव भी बनाया और पैसा कंट्रोल रूम के पास लिया उक्त मामले में किराना व्यवसाई ने खूब शिकायतें की जांच अधिकारी ने जितनी बार भी गांव का दौरा किया शिकायतकर्ता को ही चमकाया गया अंत में उसने हाथ जोड़कर कार्यवाही नहीं चाहता हूं का आवेदन पत्र दिया। आबकारी विभाग दो नंबर के दारू का धंधा, चखना सेंटर में घूमने पर ऐसी दर्जनों कहानियां सुनाई दे जाती है पाठक गण याद करें एक शिक्षाकर्मी जो शराब के नशे में धुत था को जमानत ना देकर एसडीएम ने जेल दाखिल करा दिया था और दूसरे दिन शिक्षाकर्मी जेल से मरा निकला दंडाधिकारी जांच ऐसे मामलों का हल नहीं है। आबकारी विभाग के निरीक्षक सिर के बाल से लेकर अंगूठे के नाखून तक रोम रोम भ्रष्टाचार में डूबा है और यह भ्रष्टाचार नख से लेकर व्यवस्था के शिखर तक है। छोटेलाल केवल एक नाम नहीं था किसी के पति, बेटे, भाई, चाचा, मामा, ताऊ, पिता सब कुछ रहे होंगे किंतु व्यवस्था के सामने नाम छोटे हो या कुछ और हमारी हैसियत चींटी से ज्यादा नहीं है।