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करोड़ों का वित्तीय अनुदान डकार जाने के बाद नए स्वरूप में खुल गया वृद्ध आश्रम

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर, 24 मार्च 2022। समाज कल्याण विभाग में दो तरह के एनजीओ काम करते हैं एक वह जो दिखावा करते हैं और शासन की योजनाओं का दोहन करते हैं दूसरा वे जो शासन से पैसा तो लेते हैं सही स्थान पर खर्च भी करते हैं किंतु कमीशन न दे पाने के कारण ऐसे संस्थाओं के अनुदान कभी भी रोके जा सकते हैं। आज हम पहली श्रेणी के एक ऐसे संस्था की चर्चा कर रहे हैं जिसका पदाधिकारी पूर्व में शासन की योजना का लंबा पैसा लेकर ब्लैक लिस्टेड हो चुका है और कुछ ही दिन बाद उसके हाथ में एक ऐसी संस्था लग गई जो कि पंजीयन के अनुसार मध्य प्रदेश शासन के वक्त की है और पहले से विभागीय मान्यता प्राप्त है । इस संस्था का नाम सुवाणी है और यह संस्था बिलासपुर स्थित मिशन अस्पताल की पुरानी आईसीयू में वृद्धाश्रम संचालित कर रही है सुवाणी के पूर्व इस स्थान पर संकल्प प्रशामक देखभाल गृह संचालित होता था जिसके कर्ता-धर्ता ने जिला प्रशासन को 23 लाख रुपए का चूना लगाया और संस्था बंद करके बैठ गया । अब इसी स्थान पर सुवाणी खुल गया सुवाणी का कर्ताधर्ता पूर्व में घरौंदा नाम की योजना संचालित कहता था एनजीओ का नाम पीतांबरा पीठ था और उस स्थान पर इस संस्था ने तीन करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता की बच्चों को भूख से बिल बिलाता छोड़कर भाग गया। शासन ने जब कार्यवाही की तो संस्था में कोई पदाधिकारी नहीं मिला बुरे हाल में हितग्राहियों को तत्काल निकालकर अन्य जगह स्थानांतरित किया गया उस समय के बिलासपुर एसडीएम नूतन कंवर ने जांच उपरांत एफआईआर की अनुशंसा की थी जो कि नहीं हुई बाद में पीतांबरा पीठ वाले श्यामसुंदर तिवारी ने सुवाणी में स्वयं को नामांकित कराया और अब मिशन अस्पताल के भीतर वृद्धाश्रम संचालित कर रहे हैं यहां भी कई अनियमितताएं हैं । सरकारी निरीक्षण के लिए तैयार की गई फाइल में वृद्धों की संख्या उतनी बताई गई है जितनी अनुदान के लिए जरूरी है जबकि वास्तविक रूप से वृद्ध आश्रम में 10 से कम हितग्राही रहते हैं संस्था के अंदर वृद्धों की नाम सूची रजिस्टर उपलब्ध नहीं है, स्टाक पणजी नहीं है, स्टाफ की सूची नहीं है, रात्रि कालीन चौकीदार पुरुष नहीं है, फिजियोथैरेपिस्ट नहीं है, आया के रूप में जो काम करती हैं उनके पास अनिवार्य शैक्षणिक प्रमाण पत्र नहीं है ऐसी 1 दर्जन से अधिक विसंगतियों वाला वृद्ध आश्रम जिसमें एक भी वृद्ध के पास आश्रम में रहने की सक्षम अनुमति भी नहीं है जैसा कि आश्रम के बाहर लिखा हुआ है विभाग ने वृद्ध आश्रम के निरीक्षण के लिए जांच निरीक्षण दल बना दिया है और यह देखने लायक होगा की करोड़ों की वित्तीय अनियमितता करने वाले व्यक्ति , संस्था को इस बार कहते अनुदान मिलता है।