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डिजिटल भुगतान वाली लक्ष्मी से नाराजगी क्यों

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बिलासपुर, 2 नवंबर 2024।
उपहार तो उपहार होता है उसे वापस करके कोई भी व्यक्ति स्वयं को ईमानदार नहीं बता सकता। मामला भटगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत का है। 31 अक्टूबर से फोन पे के स्क्रीनशॉट घूम रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश की एकमात्र महिला कैबिनेट मंत्री के समर्थकों ने अपने क्षेत्र के खबरचीजों को दीपावली का एक समान उपहार डिजिटल माध्यम से प्रेषित कर दिया। प्राप्त करने वाले चिढ़ गए, और उन्होंने वह उपहार यथावत वापस कर दिया। 
इस खबर के कुछ पहलू हैं। नंबर एक न्यायधानी में तो नेहरू चौक के पास सत्ता के एक केंद्र से डिजिटल पेमेंट से कम राशि का वितरण लिफाफे में हुआ। बंधुओ ने सह सम्मान इसे न केवल ग्रहण किया बल्कि अपने स्वबंधुओ को बताया कि फलां जगह से उपहार वितरण शुरू हो गया है। किसी ने लिफाफा वापस नहीं किया। इसी तरह एक सत्ता केंद्र जिनका दफ्तर कमिश्नर कार्यालय के ठीक पहले खुला है ने देश का सबसे बड़ा नोट एकल कर दिया उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि यह एक नोट लिफाफे में अकेले बात किससे करेगा। बंधुओ को इसे भी लेने में गुरेज नहीं लगा। इस बार बिलासपुर का पटाखा बाजार विकेंद्रीकृत था। फटाका संघ ने निर्णय लिया बंधुओ को कोषाध्यक्ष देखेंगे। शेष व्यवस्था अध्यक्ष महोदय देखेंगे पर कोषाध्यक्ष की खुशी जल्द ही खीज में तब्दील हो गई और उन्होंने बहुत से बंधुओ को टरका दिया। टरकाय हुए बंधु अध्यक्ष के पास पहुंचे। वहां पर अपील स्वीकार हुई। फटाका व्यापारी पिछले कुछ सालों से स्थानीय प्रशासन से बहुत परेशान हैं वे कहते हैं तीन से चार दिन का धंधा है अनुभाग पहले देखो, फिर निगम, खाकी और अब तो न्याय की देवी ने भी पट्टी हटा ली है। पट्टी हटते ही उन्हें भी पैकेट की साइज और लिफाफा का वजन समझ आने लगा है। यहां तक की साहब के ड्राइवर भी लाल बत्ती लगाकर आते हैं। पिछली दिवाली में तो निगम और खाकी आमने-सामने आ गए थे। उसे समय के कमिश्नर को बड़ा बुरा लगा था जब फटाका व्यापारियों ने आईजी की शरण लेकर पुलिस मैदान में व्यापार किया। और निगम आयुक्त को बड़ा लिफाफा देने से इनकार कर दिया। चिड़े हुए कमिश्नर ने व्यवसाय शुल्क के नाम पर 4000 से अधिक की रशीदे काट दी थी। दीपावली आई और चली गई पर उपहार की कहानी कई दिन तक वातावरण में जहर फलता रहेगी।