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वित्तीय संकट से जूझने सरकार ले रही ज़्यदा कर्ज खर्च पर लगाम
कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश को राजस्व का नुकसान तो हुआ ही है, तमाम योजनाओं में सरकार का खर्च भी बढ़ा है. इन हालातों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई फैसले लिए थे.वहीं, अलग—अलग मंत्रालयों के खर्च पर कंट्रोल की भी कोशिश की है. अब वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर मंत्रालयों और विभागों को कहा है कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में अपने खर्च को संशोधित अनुमान के लक्ष्य तक सीमित रखने को कहा है. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मंत्रालयों और विभागों से बैठक में तय खर्च की सीमा का कड़ाई से पालन करने का आग्रह किया जाता है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘वित्तीय सलाहकार यह सुनिश्चित करें कि 2020-21 के संशोधित अनुमान की बैठकों में व्यय की जो सीमा तय की गई है उसका कड़ाई से अनुपालन हो.’’बता दें कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान नई योजनाओं की शुरुआत पर रोक लगा दी थी. वित्त मंत्रालय ने ये रोक मार्च, 2021 तक की योजना पर लगाई है. ये रोक उन योजनाओं पर हैं जो स्वीकृत या मूल्यांकन श्रेणी में हैं. यह आदेश उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिनके लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सैद्धांतिक अनुमोदन दे दिया है.वित्तीय संकट से जूझने की वजह से सरकार कर्ज भी ज्यादा ले रही है. चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार से कर्ज लेने का अनुमान 4.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2020-21 में अनुमानित कर्ज 7.80 लाख करोड़ रुपये के स्थान पर 12 लाख करोड़ रुपये होगा.