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सरकार का लक्ष्य 22-23 में 200 मिलियन डॉलर का लेंगे कर्ज, बढ़ेगी और महंगाई
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर, 7 अप्रैल 2022। देश में राज्यों के कर्ज के अलावा केंद्र सरकार का कर्जा 80 लाख करोड़ से ज्यादा का है। ऐसा बताया जाता है की देश पर प्रति व्यक्ति कर्जा 1 लाख रुपए से ऊपर का है। जबकि 67 वर्षों में यह कर्जा 55 लाख करोड़ का था और मात्र 8 वर्षों में 73 लाख करोड़ का हो गया। अब कुछ नागरिकों को लगता होगा कम बोलने वाला प्रधानमंत्री बेहतर था बोलने वाले ने तो 8 साल में ही नागरिकों को अभूतपूर्व कर्ज की ओर धकेल दिया है। एक तरफ सरकारी इकाई घाटे में चली गई और देश के प्रमुख के दो उद्योगपति अडानी और अंबानी 100 अरब से ऊपर चले गए। अडानी की तो कमाई 4.36 लाख करोड़ प्रतिदिन हो गई है वही अंबानी की कमाई 5.80 लाख करोड़ है । 378 करोड़ रुपए प्रतिदिन कमा रहे हैं। देश का एफसीआई जिसकी बुक वैल्यू बहुत अच्छी होनी चाहिए वह भी 480 हजार करोड़ के घाटे में हैं। सरकार की 150 कंपनियां घाटे में चल रही है जब देश के दो कारपोरेट प्रतिदिन 756 करोड़ और 378 करोड़ कमा रहे हो तो सरकार की 150 कंपनियां घाटे में कैसे जा सकती है। जबकि सरकार के पास भी वे ही संसाधन है जो संसाधन अदानी, अंबानी के पास है हो सकता है सरकार के पास कुछ बेहतर ही संसाधन हो किंतु नियत का सवाल है . .. आरबीआई विकास या मुद्रा और मूल्य स्थिरता के बीच अपनी प्राथमिकता किसे चुनती है सरकार अपनी राज्यसी के चलते 614 मिलियन डॉलर कर्ज में है । यह इस एक्सटर्नल कर्ज का 52% डॉलर में चुकाना है, 32% रुपए में 6.7 एसबीआर में और 3.5 यूरो में चुकाना है । अब सरकार और कर्ज लेने जा रही है। भारत सरकार 2022- 23 में 15 ट्रिलियन रुपए 200 बिलियन डॉलर उधार लेने की योजना रखती है ।21- 22 में 10.5 ट्रिलियन रुपए 140 बिलियन डॉलर और 20- 21 में 12.6 ट्रिलियन रुपए 165 बिलियन डॉलर से यह काफी बड़ी रकम है। विकास, मुद्रा, स्थिति, मूल्य स्थिरता यह तीनों अब प्राथमिकता नहीं है लगता है आरबीआई की प्राथमिकता यही है कि किस तरह केंद्र सरकार के लिए ऋण प्रबंधन का काम किया जाए भले ही महंगाई रोज बड़े। आरबीआई लगातार इसी जुगाड़ में रहती है कि सरकार को कम लागत पर पैसा उधार कैसे मिले।