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10 वें और 12 वें नंबर का बिल देश के बैंकों का बजने वाला है 12

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। संसद के शीतकालीन सत्र में 26 विधेयक आने वाले हैं जिनमें से 10 वें और 12 वें नंबर के विधेयक यह तय कर देंगे कि देश में देश के बैंक बिक जायेंगे और भारत का बाजार जिसे उपभोक्ताओं का बाजार कहा जाता है का 12 बज जाएगा । क्या कृषि रिफॉर्म पर किसानों के ना के बाद अब भारत की आम जनता बैंकों के बंद होने को सहन करेगी अखबार से लेकर टीवी के डिबेट और ऑनलाइन भाषण इन दिनों निजी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध और आरबीआई गवरन क्रिप्टो करेंसी के बहस से अटी पड़ी है । देश के प्रधान सेवक कहते हैं उन्हें चिंता है क्रिप्टो गलत हाथों में जा सकता है जिस तेजी से बाजार की ताकतें मजबूत हुई है पैसे पर किसी एक का नियंत्रण नहीं है। 2018 तक आरबीआई क्रिप्टो के खिलाफ था और बाद में उसे क्रिप्टो तो उसे खराब लग रहा है पर उसकी तकनीक उसे अच्छी लग रही है। सरकार ने साफ किया है कि उसके द्वारा 12 नंबर का जो बिल पेश किया जाएगा वह 1948 और 1970 के बैंकिंग अधिनियम का स्थान लेगा सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि देश में केवल चार बैंक बचेंगे ऐसे में जब मुद्रा डिजिटल होगी वर्चुअल होगी तो बैंक में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की जरूरत किसे है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 12 हजार, बैंक ऑफ इंडिया में 50 हजार, इंडियन ओवरसीज बैंक में 31 हजार, सेंट्रल बैंक में 30 हजार के लगभग कर्मचारी हैं। मोदी जी ने सबसे पहले जनधन खाता खुलवाया और खाताधारकों को एटीएम कार्ड दिया जैसे ही एटीएम कार्ड हाथ में आया देश डिजिटल मुद्रा के लिए तैयार हो गया आज भले ही सरकार क्रिप्टो को कोसे किंतु क्रिप्टो को भारत में खड़ा होने देने के पीछे इन्हीं की ताकत है। सब जान रहे हैं कि देश में किन लोगों ने एनपीए खड़ा किया और कौन जाने बैंकों की एनपीए की रकम से ही भारत में क्रिप्टो खड़ा हुआ बैंक कंगाल है, बैंकों का मुनाफा लगातार घटता जा रहा है साथ में यह दावा की क्रिप्टो की तकनीक में पैसे पर किसी का नियंत्रण नहीं होता यही बात तो डिजिटल में भी है जब पैसा मोबाइल से मोबाइल ट्रांसफर होने लगेगा तो बैंकों में बैठे लाखों लोगों की जरूरत ही क्या है सब कुछ तो सॉफ्टवेयर से संचालित होगा तब इतने बड़े भवन इतना अमला इतनी बड़ी संख्या में एटीएम और सीडीएम मशीन की जरूरत क्या है अब तो डिजिटल पासपोर्ट की भी तैयारी हो रही है अर्थ यह है कि धीरे-धीरे सब कुछ एक वर्चुअल सिस्टम पर आएगा तब भारत देश के करोड़ों, करोड़ों वे लोग जिन्हें 5 किलो, 10 किलो, 25 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता है वह क्या केवल इसी योजना के लायक बचेंगे भारत की मजबूरी है। भारत में और असमानता तेजी से बढ़ी है जब असमानता बढ़ती है तो रुपए की लूट भी बढ़ती है लगता है कि सरकार लैंड रिफॉर्म बिल पर मुकी खा चुकी है कृषि रिफॉर्म पर भी उसे पीछे हटना पड़ा है और अब श्रम कानून और बैंकिंग सेक्टर की बारी है बैंकिंग सेक्टर में पहला बड़ा बदलाव नोटबंदी था जिस पर अब साफ है कि उस वक्त आरबीआई तैयार नहीं था पर आरबीआई की मंशा के खिलाफ नोटबंदी हो गई अब बैंकों के बिकने की बारी है संसद में 12वें नंबर का बिल इसी उद्देश्य की पूर्ति करेगा वित्त मंत्रालय क्रिप्टो को टेक्स दोहन का बड़े मौके के रूप में देख रहा है उसे लगता है कि जिस बड़ी संख्या में देश के लोगों ने क्रिप्टो में रुचि ली है वह टैक्स का बड़ा अड्डा बनेगा इसीलिए इसे संपदा के रूप में माना जाए। कहा जाता है कि 26% लोग वर्चुअल करेंसी को कानूनी दर्जा देने के पक्ष में हैं जबकि 54% लोग नहीं चाहते हैं कि क्रिप्टो करेंसी को कानूनी दर्जा प्राप्त हो लगता है कि संसद का शीतकालीन सत्र बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी कर रहे लोगों को आंदोलन के लिए बाध्य कर देगा।