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बलौदाबाजार का सच, कभी आएगा बाहर....?
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बिलासपुर, 12 जून 2025।
10 जून 2024 के दिन छत्तीसगढ़ के नागरिक सवाओं को नीचा दिखाने वाली घटना बलौदाबाजार में हुई जब उग्र भीड़ ने कलेक्टर कार्यालय को ही आग में झोंक दिया। 13 जून 2024 को न्यायिक आयोग का गठन की अधिसूचना जारी हई। जस्टिस सीबी बाजपेई को जांच का जिम्मा मिला और तब से चार बार उनका कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। आखरीबार 5 जून को कार्यकाल बढ़ाते हुए 12 अक्टूबर 2025 तक कर दिया गया। आखिर ऐसा क्यों होता है कि आयोग अपने तय समय सीमा में रिपोर्ट नहीं दे पाता।
बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट परिसर में आग लगने के पीछे अमर गुफा जैतखंभ की कहानी है। पुलिस ने कुल 191 लोगों को गिरफ्तार किया जिसमें भिलाई के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव भी शामिल थे। देर अबेर सबको जमानत मिल गई। विधायक देवेंद्र यादव को तो जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा। आयोग के लिए बलौदाबाजार जिला निर्वाचन कार्यालय में तीन कक्ष आवंटित है पहले में आयोग के अध्यक्ष, दूसरे में न्यायालय और तीसरे में उनका स्टाफ बैठता है। आगजनी के समय कुमार लाल चौहान कलेक्टर थे और पुलिस अधीक्षक के रूप में सदानंद कुमार दोनों निलंबित हुए और बाद में कुछ ही दिन भीतर निलंबन समाप्त नई पोस्टिंग पा गए।
अग्निकांड के मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई सत्ता और विपक्षक बीच आरोप प्रत्यारोप लगे पर जिस तरह से घटना के दोषी उत्तरदाई और उनकी भूमिकाएं बाहर आ जानी थी नहीं आई। 2001 से छत्तीसगढ़ में यह आम है। जांच दल, जांच आयोग बनते ही इसी लिए है की सच्चाई छिपाई जा सके।
झीरम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मीना खल्खो कांड में आई रिपोर्ट पर भी ऐसे ही बर्फ डाली गई न्याय किसी को कभी नहीं मिलने वाला नक्सलवाद खत्म होकर नए सिरे से प्रारंभ होगा पर झीराम के गुनहगार वैसे ही समझ में घूमते रहेंगे। जोन आंदोलन के वे आरोपी जो रेलवे की करोड़ों की संपत्ति जलाकर आराम से घूम रहे हैं। न्यायालय के सामने जिन्हें दोषी कहकर उपस्थित किया गया उन्हें तो न्यायालय ने निर्दोष कहा। बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट अग्निकांड के आरोपियों की संख्या सैकड़ों में है तो गवाह भी सैकड़ो में होंगे न्यायालय में कब चार्जफ्रेम होंगे लंबा समय लगेगा। तब तक तो एक से अधिक बार चुनाव भी हो चुके होंगे। जब फैसला आएगा तब गूगल से 10 जून 2024 की फिर से चर्चा करना पड़ेगा।