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एक खाकी के दो रूप दोनों नहीं सच्चे

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बिलासपुर, 10 जून 2025। 
              रायपुर जिला के तिल्दा थाना क्षेत्र में थोमा चर्च के पास्टर सेमसंग सेमुएल उम्र 63 वर्ष ने उनके आवास पर छत्तीसगढ़ डायोसिस की विशप सुषमा कुमार, पादरी परमिंदर, डायोसिस के अवैधानिक सचिव नितिन लॉरेंस, जयदीप रॉबिंसन तथा अन्य के विरुद्ध घर में अनधिकृत रूप से घुसने, समूह को भड़काने की शिकायत दर्ज कराई। थाने में 1 जून की तारीख़ में आरोपियों के विरुद्ध 191(2), 296, 324(4), 351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। पीड़ित पास्टर ने बताया कि उनके घर पर आरोपी गण दो बार अनाधिकृत तरीके से घुसे। हथियारों से लैस थे पहली घटना 15 मई और दूसरी घटना 1 जून को हुई पर एफआईआर एक बार ही हुईं है। लेकिन उन्होंने पृथक पृथक दो शिकायतें की, लगता है पुलिस का अपराधियों पर खौफ खत्म हो गया है। 
दोनों घटनाओं को घटित हुए पर्याप्त समय बीत चुका आरोपी गण मजे से अपना दैनिक कामकाज कर रहे हैं। भारतीय संविधान अपने नागरिकों को धर्म, लिंग, जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होने का भरोसा देता है। पर क्या वास्तव में ऐसा है। 
छत्तीसगढ़ डायोसिस के अवैधानिक सचिव नितिन लॉरेंस ने 11-12 फरवरी 2025 की बर्जेस स्कूल बिलासपुर सिविल लाईन थाने से दूरी पैदल अधिकतम 5 मिनट कहा कि उन्हें सुबोध मर्टिन (रवि) ने धमकाया और पैसे की मांग की नितिन ने इस संदर्भ में 17 फरवरी को पुलिस अधीक्षक बिलासपुर से लिखित शिकायत की इस आधार पर सिविल लाईन थाना बिलासपुर ने एफआईआर दर्ज किए बगैर ही 18 फरवरी को यशराज सिंह, बिनु बैनेट को उसके रायपुर निवास स्थान से उठा लिया। और 18 तारीख को 15:05 पर एफआईआर दर्ज करते हुए 308 (2), 35 बीएनएस के तहत न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। यह कार्यवाही शिकायत पर जांच की मांग ही नहीं करती त्वरित है। 
एक एफआईआर में नितिन लॉरेंस शिकायतकर्ता है और कार्यवाही तुरंत हो रही है। दूसरे में नितिन लॉरेंस और उसके साथी आरोपी है तब पुलिस को जांच मे एक माह लग रहा है। ऐसा नहीं कि यह एक अकेली घटना है। नितिन लॉरेंस के विरुद्ध सिविल लाईन थाना रायपुर में संज्ञेय अपराध पाया गया। एफआईआर कर कार्यवाही करें का एक ऑफिशल लेटर एडिशनल एसपी के हस्ताक्षर से जारी हुआ। थाने में 1 साल से धुल खाता रहा। शिकायतकर्ता हताश होकर हाईकोर्ट बिलासपुर आए और कोर्ट के निर्देश पर सीजेएम रायपुर के कोर्ट में प्रकरण पेश किये, यह घोटाला लाखों का हैं। इस प्रकरण में भी न्यायालय ने सिविल लाईन थाना रायपुर से प्रतिवेदन मांगा है एक ही मामले में पुलिस की अत्यधिक तेजी और दूसरे मामले में सुस्ती संदेह को जन्म देती है।