
24hnbc
जिला प्रशासन का यह कैसा मापदंड, न्यायालय के आदेश की हुई अवमानना कौन लेगा संज्ञान....?
24hnbc.com
समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । 19 अक्टूबर के दिन एक धर्म विशेष का त्यौहार था और उन्हें जिला प्रशासन ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी थी । यही नहीं सजावट और लाइट लगाने की भी अनुमति नहीं थी जिला प्रशासन के निर्देश के खिलाफ एक समूह छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में यह पीटिशन भी दायर किया था। उच्च न्यायालय के जिस कोर्ट में सुनवाई हुई वहां कमेटी की यह याचिका खारिज कर दी गई याचिका में बिलासपुर जिला प्रशासन को भी पार्टी बनाया गया था याचिका खारिज हुई इसका सीधा अर्थ यही है कि किसी भी प्रकार के जुलूस की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद कल शहर भर में जुलूस अलग-अलग चौराहों से एक चौराहे से दूसरे चौराहे घूमता रहा इतना ही नहीं 20-20, 30-30 के समूह में युवा ऊंचे ऊंचे झंडे लेकर कालोनियों में भी घूमते देखे गए जब जुलूस निकालने की अनुमति ही नहीं थी तब पूरे शहर में चौक चौराहों पर जमकर डीजे बजा जगह जगह लंगर स्वरूप खाद्य पदार्थ भी बांटा गया इन सब के बीच यह कहना मजबूरी है कि कवर्धा की घटना के बाद एक संघ विशेष में बिलासपुर में जुलूस निकालने की अनुमति मांगी थी जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी और पूरी आमसभा एक स्कूल परिसर के भीतर हुई जो नियम बनाया गया था उस नियम को माना गया इससे प्रशासन को भी आसानी गई किंतु 3 दिन बाद ही एक अन्य धार्मिक संगठन ने जुलूस की अनुमति मांगी जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी कमेटी जिला प्रशासन के निर्णय के खिलाफ न्यायालय ने याचिका सुनी और खारिज कर दी। उसके बावजूद भी शहर भर में सुबह से लेकर शाम 6 बजे तक जुलुस निकलते रहे अब इसे क्या न्यायालय की अवमानना माना जाएगा यदि यह न्यायालय की अवमानना है तो क्या जिला प्रशासन अवमानना याचिका दाखिल करेगा क्योंकि जो याचिका उच्च न्यायालय ने खारिज की उसमें एक आवश्यक पक्षकार राज्य सरकार द्वारा जिला प्रशासन ही था या न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर अवमानना प्रकरण पर सुनवाई करेगा कुल मिलाकर दिनभर जुलूस निकला जुलूस में किसी भी स्तर पर न तो सैनिटाइजिंग, सामाजिक दूरी, मास्क जैसी कोई औपचारिकता नहीं की गई ऐसे में बार-बार यह समझ आता है कि जिन्हें व्यवस्था बनानी हैं दोहरे मापदंड लेकर चल रहे हैं।
.jpg)