
बिलासपुर प्रेस क्लब संदर्भ - 3
सफारी की सवारी, जमीन में मरा जमीर
- By 24hnbc --
- Friday, 23 Jul, 2021
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समाचार -
बिलासपुर । सफारी की सवारी का किस्सा कुछ यूं है कि अपने द्वितीय कार्यकाल में प्रेस क्लब के एक अध्यक्ष ने उस समय की राज्यसभा सदस्य कमला मनहर से एक टाटा सफारी अनुमोदित करा ली, सफारी एसयूवी श्रेणी की गाड़ी है लिहाजा उसे एंबुलेंस के नाम पर दर्ज करके प्रेस क्लब को दिया गया। विरोधी पक्ष को इस सफारी की हवा लग गई तो स्कैंडल बन गया सदस्य टू सदस्य पदाधिकारी टू पदाधिकारी आर एस एस से संबंध रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस स्कैंडल को इतनी हवा दी कि मामला सलवाजुडूम जैसा हो गया यहां तक की दबाव इस बात के लिए भी बना कि इस मामले में एफ आई आर भी दर्ज हो गया समय पर चुनाव हुए और सफारी के हवा में आर एस एस समर्थक जमीन का ख्वाब दिखाते हुए अध्यक्ष पद पर काबिज हो गए । यहीं से प्रेस क्लब के साथ पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत एक और संस्था का जन्म हुआ। आज की तारीख में भी सिर के ऊपर छत एक ऐसी कथा है जिस पर बहुत से घोटाले हो सकते हैं और गृह निर्माण सहकारी समिति में भी यही हुआ पत्रकारों को प्लॉट आवंटित करेंगे के नाम पर सदस्य संख्या इस तरह बढ़ाई गई कि शहर में जिन्हें पत्रकारिता का प नहीं आता था उन्होंने भी साम, दाम, दंड, भेद एन केन प्रकारेण संस्था में न केवल सदस्यता पा ली बल्कि असली पत्रकारों को पटकनी देते हुए बिरकोना रोड पर प्लाट भी पा गए। जमीन के लिए जमीर ऐसा मरा की प्रेस क्लब अध्यक्ष के खिलाफ संबंधित थाने में प्रकरण भी दर्ज है आज भी प्रेस क्लब के ऐसे कई सदस्य हैं जो वर्ष 1999 से सदस्य हैं जब संस्था की सदस्य संख्या मात्र 100 थी और उन्हें एक अदद प्लॉट नहीं मिला जबकि बिलासपुर शहर से बाहर रहने वाले कथित मुंबई निवासी को बिलासपुर में बतौर पत्रकार पहचान देते हुए सहकारी समिति ने प्लाट आवंटित कर दिया है । इस चुनाव में भी प्लॉट देंगे का वादा किया जाता है जबकि जागरूक सदस्यों को यह पता है कि अब सहकारी समिति के पास बांटने के लिए प्लॉट शेष नहीं है पर नेता है कि जो जेब में नहीं है उसे भी देने का वचन कर रहे हैं। प्रेस क्लब के इस साल के चुनाव में आम चुनाव की वह सब कमियां, लालच मौजूद है जो आज की सामाजिक बुराई बन चुका है। सदस्य मतदाता जानते हैं कि कौन सदस्य किसकी पार्टी में जाकर कितना जाम छलका रहा है कितना मुर्गा खा रहा है और कुछ ने तो नगद आहरण भी किया है।
(चौथी किस्त में पढ़ें बेरोजगारी की दौर में कैसे पैदा हुए सैकड़ों पत्रकार) ।