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छत्तीसगढ़ भवन है तो बाहर शबाब, अंदर शराब होगी ही

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बिलासपुर 5 अक्टूबर 2024।
छत्तीसगढ़ भवन के मुख्य दरवाजे के पास बोरे में भरी हुई महंगी शराब की बोतले यह बताती है कि इन्हें खाली करने का काम, और सामाजिक तत्वों के जमावड़े और पत्रकारों ने नहीं किया है, क्योंकि खंबा वह भी महंगा खरीद के पीने की क्षमता पत्रकार की नहीं है। 
कुछ दिन पूर्व बिलासपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक अखबार हरिभूमि में यह समाचार प्रकाशित हुआ था कि छत्तीसगढ़ भवन में असामाजिक तत्वों का आना और शराब पीना रोज की बात है। अभी भी दैनिक अखबार में छपी अखबार की यह फोटो कॉपी छत्तीसगढ़ भवन के दिवाल पर लगी हुई है। समाचार प्रकाशित होने के बाद भी हमने बिलासपुर एसडीएम से निवेदन किया था कि इस मामले की जांच कराई जाए। क्योंकि इस समाचार में यह भी लिखा है कि छत्तीसगढ़ भवन संवेदनशील क्षेत्र है। और यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं जबकि इस भवन में न केवल सीसीटीवी कैमरे लगे हैं बल्कि उनकी 24 घंटे रिकॉर्डिंग भी होती है। और वह रिकॉर्डिंग प्रथम तल के एक कमरे में रखें कंप्यूटर में स्टोर होती है। 
शराब की बोतलों वाला बोरे की फोटो 3 अक्टूबर की है। 2 अक्टूबर को शुष्क दिवस था निश्चित ही उसके पहले की खरीदारी होगी। हम पूरे भवन के कमरों में कौन रुकता है और क्या पिता खाता है। इस पर कोई प्रश्न नहीं उठाते वह उसकी निजी स्वतंत्रता है। पर यह प्रश्न जरूर उठाते हैं कि बरसों से कोई एक कमरा किसी एक ही व्यक्ति के नाम पर लगातार आवंटित क्यों है। 
संसदीय सचिव जो चुनाव हार भी गए हो आज भी उनके स्टाफ के नाम पर कमरा आवंटित है और जरूरत पड़ने पर अन्य किसी को नहीं मिल सकता। इसी तरह की व्यावसायिक गतिविधि करने वाले, इवेंट में भाग लेने आई आए लोगों के लिए प्रायोजक सरकारी भवनों में जैसे छत्तीसगढ़ भवन, सर्किट हाउस में कमरा आरक्षण के लिए प्रयास क्यों करते हैं। जब बाजार में इवेंट मैनेजमेंट के माध्यम से व्यवसाय करना है तो अपने मेहमान को शहर की सुविधा युक्त होटलों में रूकवाएं सरकारी गेस्ट हाउस को बक्श दें। यह बात सही है कि छत्तीसगढ़ भवन के सामने के रोड पर ही फिर से संदिग्ध गतिविधियां जिसमें देह व्यापार भी शामिल है फिर से प्रारंभ हो गया है। इसका कोई स्थाई इलाज जिला प्रशासन के पास नहीं है।