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इस बार परीक्षा पत्रकारिता की भी है

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बिलासपुर, 14 अप्रैल 2024।
पहले चरण का मतदान इसी हफ्ते होने वाला है दूसरे चरण की लोकसभा सीट के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई, वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव केवल राजनीतिक दलों के लिए नहीं पत्रकारिता के पेशे से जुड़े हर व्यक्ति के लिए परीक्षा है। देश के सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति जब अपने 10 साल के काम काज पर बात न कर मछली खाई गई और वो कैसे मुगल हो गया कहता है और पत्रकारिता की एक बिरादरी बेरोजगारी, महंगाई को छोड़कर मछली और मुगल पर प्रश्न करते हैं तब यह समझ आ जाता है हल्कापन गोदी मीडिया को कितना पसंद है। पहले एक सरकारी मीडिया था अब सरकारी मीडिया की संख्या बहुत बढ़ गई है।
कांग्रेस और भाजपा के बीच एक बड़ा अंतर नेता पर अंकुश भी है। बिलासपुर के एक उदाहरण तीन राजनीतिक दलों में विचरण कर चुके विधानसभा में प्रश्नों से मुखर रहने वाले तखतपुर विधायक धरमजीत सिंह को भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में पत्रकार वार्ता का आदेश हुआ। उपस्थित पत्रकारों ने देखा कि भाजपा के संगठन नेता ने विधायक महोदय को बता दिया क्या कहना है, कितना कहना है और अन्य मुद्दों पर कुछ नहीं कहना..... शनिवार के दिन बिलासपुर कांग्रेस कार्यालय में युवा कांग्रेस के युवा तुर्क कन्हैया कुमार की पत्रकार वार्ता थी उनसे किसी ने कुछ नहीं कहा क्या कहना है। पूछे गए प्रश्न का क्या जवाब देना है पर एक खुला समतल मैदान पत्रकारों को मिला। यह जिम्मेदारी पत्रकारों की है कि उनके लिए महंगाई, रोजगार बड़ा मुद्दा है या मछली और मुगल गलत ज्ञान अज्ञान से ज्यादा खतरनाक है। एक समय कार्ल मार्क्स ने कहा था "शासक वर्ग के विचार ही शासन करते हैं" भारत की राजनीति सांप्रदायिक सोच के साथ चरम पर है। विश्व स्तर पर अमेरिका ने दो खेल खेले इस्लामी आतंकवाद जिससे इस्लामी फोबिया का जन्म हुआ। दूसरा सभ्यताओं का टकराव भारत में भाजपा को यह दोनों प्रत्यय बड़े काम के लगे जबकि देश का विकास सभ्यताओं के गठबंधन से ही हो सकता है।
शनिवार को पत्रकार वार्ता में भी और जनसभा में भी कन्हैया कुमार ने कहा कि बिलासपुर के लोग अपने अधिकारों को लेना जानते हैं उन्होंने एक नहीं रेलवे जोन, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, हवाई सेवा के साथ अन्य उदाहरण भी दिए और आम जनता को यह समझाया कि जनता के सुर को आवाज बनाने वाला नेता यदि संसद में पहुंचाया जाए तो बिलासपुर की बात देश के सबसे बड़ी पंचायत में पुरजोर तरीके से पहुंचाई जा सकती है, यह तो बिलासपुर की जनता और पत्रकार दोनों को तय करना है कि उन्हें दिशा निर्देश मानने वाला नेता चाहिए या आवाम की आवाज उठाने वाला.....?