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एससी द्वारा आरोपित 500000 का जुर्माना नहीं भरूँगा..... हिमांशु कुमार

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार पर ₹500000 का जुर्माना लगाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी याचिकाकर्ता ने 2009 में 17 आदिवासियों की दंतेवाड़ा में हुई मौत के संबंध में जांच के आदेश चाहे थे। याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार ने बताया कि वे 1992 में अपनी पत्नी सहित दंतेवाड़ा आ गए थे उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे गांधी के बताए रास्ते पर चलना और जिन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है उनके लिए संविधान सम्मत तरीके से न्याय के लिए प्रयास करना ही उनके जीवन का मकसद है। जब दंतेवाड़ा में 17 आदिवासियों का कत्ल हुआ वह वक्त इस क्षेत्र में सालवा जुडूम का था यह पूरा गैरकानूनी आंदोलन सरकार समर्थन सरकार के धन से चल रहा था उस वक्त मैं नालशा का मेंबर था लिहाजा पीड़ित आदिवासी उनके पास आए और वह उन्हें लेकर उच्चतम न्यायालय पहुंचे सरकार ने 2010 में एक बार एफिडेविट देकर फिर 2017 में एफिडेविट देकर मुझे नक्सल समर्थक बताया तब तो न्यायालय ने मुझे नक्सल समर्थक नहीं माना मैं अपने ऊपर आरोपित 500000 का जुर्माना नहीं लूंगा जुर्माना देने से यह माना जाता कि मैंने अपनी गलती स्वीकार की असल में अब न्यायालय का तौर तरीका बदल गया है जो न्याय मांगने आए उसी को दोषी ठहरा दो कुछ ही दिन पहले टीस्ता के साथ यही हुआ और अब मेरे साथ हो रहा है। न्याय मांगना ही यदि गुनाह हो जाएगा तो पूरा लोकतंत्र बिखर जाएगा और हमें अब इसी को बचाने के लिए प्रयास करना है मैं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए जुर्माने को जमा नहीं करूंगा सरकार चाहे तो मेरे खिलाफ धारा 211 के तहत मुकदमा चला ले। यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ में चल रहे सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच के मामलों में गंभीर प्रभाव डालने वाला है क्योंकि अभी भी सिलेगर में सैकड़ों ग्रामीण सुरक्षा बलों के खिलाफ आंदोलनरत हैं।