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बौद्धिक खोखलेपन की ओर सोची समझी राजनीति से धकेलता जा रहा है ?

क्या ट्रेन का तीसरा दर्ज इसलिए खत्म हुआ

24hnbc.com
बिलासपुर, 28 फरवरी 2024।
इसी माह विनायक दामोदर सावरकर पर लिखित पुस्तक का विमोचन अटल विश्वविद्यालय में हुआ। आज डॉक्टर अंबेडकर की अस्ति यात्रा पहुंच रही है। बेंगलुरु जिसे आईटी हब कहा जाता है में 24 - 25 फरवरी को संविधान व राष्ट्रीय एकता विषय पर यूनाइटेड किंगडम की भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल को कर्नाटक सरकार ने आमंत्रित किया था पर केंद्र की नजीरशाही के चलते वापस भेज दिया गया। एक तरफ अटल विश्वविद्यालय में सावरकर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के संब्बध हंसराज महाविद्यालय के प्रोफेसर सुधांशु कुमार शुक्ला मुख्य वक्त हो सकते हैं वहीं निताशा कौल संविधान व राष्ट्रीय एकता विषय पर अपनी बात नहीं रख सकती, और हमारा नेतृत्व भारत को मदर ऑफ डेमोक्रेसी बताता है। भारतीय मूल के व्यक्ति कहीं पार्षद भी हो जाए तो हमें गौरव का अनुभव होता है पर निताशा जो गोरखपुर में जन्मी कश्मीरी पंडित जो घाटी छोड़कर आए थे दिल्ली के श्री राम कॉलेज में पड़ी दिल्ली विश्वविद्यालय में पड़ी 1997 से इंग्लैंड चली गई वहां के हाल विश्वविद्यालय से डॉक्टर प्राप्त किया और वेस्ट मिस्टल में प्रोफेसर है कि बात बेंगलुरु में नहीं सुनी जा सकती। उनके बोल केंद्र को अच्छे नहीं लगते क्योंकि वह भाजपा संघ के विचारों के खिलाफ बोलती है।
 कल 27 फरवरी को प्रोफेसर सुधांशु कुमार शुक्ला जो सावरकर पर इन दोनों बहुत कुछ लिख रहे हैं प्रेस क्लब आए थे उनसे चर्चा के दौरान जब यह बात हुई की गांधी मर्डर करने के आरोपी के रूप में मुकदमा सावरकर पर भी चला। भारतीय न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता और निखरी जब गोडसे के साथ अन्य कई सजायाफ्ता हुए, पर सावरकर छूटे। सावरकर द्वारा लिखा गया बहुत कुछ उपलब्ध है, यहां तक की गोडसे का कोर्ट में दिया गया 58 पेज का बयान भी उपलब्ध है और आज दोनों को विचारक बताया जाता है और आज की कथित समावेशी सोच रखने वाली व्यवस्था सदन में सांसदों के ऐसे विचार जो भाजपा संघ को पसंद नहीं डिलीट कर दिए जाते हैं, रिकॉर्ड पर नहीं लिया जाता है। क्या इसे शुक्ला जी उचित मानते हैं शुक्ला जी कुछ नहीं बोल लगता है देश जो सबका था अब कुछ का होकर रह गया।
गांधी जी के पास प्रथम दर्ज का टिकट होते हुए उन्हें उतार दिया गया तीसरे दर्जे में सफर करना पड़ा। इंडियन एंड डॉग नोट एलाव जैसे स्लोगन हमारे पूर्वजों ने परतत्रं भारत में खूब सुने आज भी मेट्रो ट्रेन का पर्यवेक्षक किस को ट्रेन में नहीं चढ़ने देता, भारतीय रेलवे में तीसरे दर्जे की व्यवस्था इसीलिए ही खत्म की गई थी क्योंकि यह भेदभाव दिखाई थी। इन 10 सालों में यह भेदभाव और बड़ा है कहते थे हवाई चप्पल वाले को हवाई जहाज में बैठालूंगा उल्टा ट्रेन का सहारा भी छिन लिया तेजस और वंदे भारत किसके लिए हैं। क्या वे 85 करोड़ जिन्हें 5 किलो का राशन मिलता है तेजस पर चढ़ सकते हैं भारतीय रेल का आज जितना भी विकास हो रहा है वह किसका छीन कर किसे दिया जा रहा है। कोरबा से एक खबर है कोल माइंस प्राइवेट फंड बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रीज ने श्रमिकों के पीएफ का पैसा शेयर मार्केट में फायदे के लिए लगाया और 726.67 करोड़ रुपए डूब गया अब इस राइट ऑफ बट्टे खाते में डालने की तैयारी चल रही है। बौद्धिक रूप से हम दिवालिया हो रहे हैं हमारा जेब काटकर कुछ को लाभ पहुंचाया जा रहा है। भक्त एक ऐसा समाज की संरचना में लगे हैं इसके खिलाफ कार्ल मार्क्स ने मजदूर क्रांति खड़ी की थी।