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म्यांमार पर खामोश मोदी अदानी का प्रभाव तो नहीं

24HNBC दुनिया के सबसे पुरानी और ताकतवर लोकतंत्र  (powerful democracy)_कहे जाने वाले भारत के प्रधानमंत्री म्यांमार (Myanmar) में हुए नरसंहार की खिलाफ एक लफ्ज़ भी नहीं बोलते. इसे लेकर देशभर में चर्चाओं का बाजार गर्म है.   इस मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कोई बयान नहीं दिया है. मारे गए लोग कौन थे… वो कहां से आए थे…. 100 से ज्यादा की संख्या में लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों की मौत हो जाती है और दुनिया का सबसे ताकतवर लोकतंत्र का प्रधानमंत्री एक शब्द भी नहीं बोलता.सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले पीएम मोदी के इस मुद्दे पर शांत रहने पर दूसरे देशों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही है. यह बात इतनी सामान्य नहीं है जितनी सामान्य लग रही है. ऐसे दावे सोशल मीडिया में किये जा रहे हैं. बात अगर सोशल मीडिया की हो फिर भी ये सवाल तो मन में आता ही है कि पीएम मोदी चुप क्यों हैं…म्यांमार में हुई मौतों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को सीधे तौर पर अदानी ग्रुप से साथ जोड़ा जा रहा है. इस मुद्दे में सोशल मीडिया पर तरह तरह के विचार भी व्यक्त किए जा रहे हैं. इसी संबंध में निजी नेशनल न्यूज़ चैनल ने एक खबर भी प्रकाशित की थी. जिसके बाद से लोगों में और भी ज्यादा आक्रोश है. खबर में दस्तावेज की कॉपी फोटो और वीडियो के हवाले से कहा जा रहा है कि अडानी ग्रुप (Adani group)  मोटर्स के मालिक करण अडानी (Karan adani) को वर्ष 2019 में सरकार के शीर्ष जनरल के साथ दिखाया गया है.  इन दस्तावेजों में अदानी की सहायक कंपनी को जमीन के लिए इसके लिए शुल्क के बतौर पैसे देते हुए दिखाया जा रहा है यह सारा पैसा म्यांमार इकोनामिक कॉरपोरेशन को दिया गया है. बता दें कि कॉरपोरेशन का स्वामित्व सैन्य सरकार के पास है.  जिसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध, अपराध, मानव अधिकार हनन और रोहंग्या मुसलमानों के नरसंहार का मुकदमा दायर है.हालांकि अडानी ग्रुप में इस तरह की सभी खबरों का खंडन किया है और इस संबंध में कहा कि मयमार में ऐसी कोई डील नहीं हुई है.जानकारी के अनुसार म्यांमार में ‘ऑर्म्ड फ़ोर्सेज़ डे’ के दिन  सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच ज़बर्दस्त झड़पें हो गई थी. जिसके बाद रिपोर्ट्स में दिये गये आंकड़ों के अनुसार सुरक्षाबलों की गोलियों से 100 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए. जिनमें बच्चे भी शामिल थे. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (US, UK, European country) के अधिकारियों ने म्यांमार में शनिवार को हुई हिंसा की आलोचना की थी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट किया कि “बर्मा के सुरक्षाबलों के ज़रिए किए गए ख़ून-ख़राबे से हमलोग स्तब्ध हैं. ऐसा लगता है कि मिलिट्री कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की ज़िंदगी क़ुर्बान कर देगी. मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूं. बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आंतक के युग को नकार दिया है.”भारत में लोग अब खुलकर कहने लगे हैं कि मोदी सरकार अदानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए कार्य करती है. हालांकि एक ऐसा वर्ग भी है जो इस मुद्दे पर जांच की मांग कर रहा है. अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि जांच होती है या नहीं. .