24HNBC यदि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के भारत की विकास दर रफ्तार पकड़े और सरकार वी शेप विकास दर बनवा लें तब भी आम लोगों में क्या अच्छे दिन की फील बनेगी? यह मुश्किल है। कारण यह है कि चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में विकास दर बड़ी मुश्किल से सकारात्मक हो पाएगी। पूरे वर्ष में विकास दर 10 फीसदी तक निगेटिव रहे तो हैरानी नहीं होगी। ऐसे में अचानक एक साल में विकास दर 11 फीसदी पहुंचने के हल्ला भरोसे वाला नहीं होना है।यदि किसी तरह से यह चमत्कार होता भी है तो उससे आम लोगों का क्या फायदा होगा, यह अलग सोचने वाली बात है। आम आदमी में देश का मध्य वर्ग भी है, निम्न मध्य वर्ग भी है और गरीब तबका भी शामिल है। देश के 83 करोड़ गरीब लोगों को सरकार पांच किलो अनाज और एक किलो दाल दे रही है। उस योजना को कब तक चलाना है, यह तय होना है। देश की 138 करोड़ आबादी में एक-दो करोड़ लोगों को छोड़ कर सरकार ने सबके ऊपर भारी बोझ डाला हुआ है और कोरोना वायरस की महामारी में भी किसी को राहत नहीं मिली है।अमेरिका में सरकार ने कोरोना वायरस की अवधि में अपना दूसरा राहत पैकेज घोषित किया, जिसमें हर अमेरिकी के खाते में 30 हजार रुपए डाले जा रहे हैं। अमेरिका के इस 138 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में बेरोजगारों को हर हफ्ते भत्ता देने का अलग से प्रावधान किया गया है। लेकिन भारत सरकार ने 21 लाख करोड़ रुपए का एक पैकेज घोषित किया तो उसमें से किसी भारतीय के खाते में एक रुपया नहीं पहुंचा। आर्थिकी के सारे जानकार कहते रहे कि सरकार लोगों के हाथ में पैसा दे तभी अर्थव्यवस्था का चक्का चलेगा, लेकिन सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। कोरोना की अवधि में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी जाने और रोजगार खत्म होने की खबर है। इन बेरोजगार हुए लोगों के लिए सरकार ने कोई राहत पैकेज नहीं दिया है। कोरोना के करीब एक साल की अवधि में लाखों की संख्या में छोटे-छोटे कारोबारियों ने अपना काम धंधा बंद किया है।