बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के एक स्टील कारखाना के निजी करण का विरोध अब तेज हो रहा है। यह कारखाना जगदलपुर नगरनार स्थित एनएमडीसी का है। केंद्र सरकार इस कारखाने का निजीकरण करने जा रही है। वर्ष 2001 में 11 ग्राम पंचायतों की 14 गांव में निजी जमीन व सरकारी जमीन के मेल से स्टील कारखाना लगा था। उस वक्त काफी मेहनत करने के बाद ग्रामीणों ने बड़ा मुआवजा राशि और नौकरी के एवज में अपनी जमीन कारखाने को दी थी। काफी जद्दोजहद के बाद 2003 में यह कारखाना फाइनल हो पाया। उस वक्त ऐसा कहा गया था कि ऐसे ही एक दो कारखाने और लगेंगे तो क्षेत्र से नक्सल समस्या का समाधान हो जाएगा। और टाटा व एसआर ग्रुप में भी इस क्षेत्र में स्टील कारखानों के लिए जमीने लेना शुरू की थी वह दो कंपनियां तो कारखाना नहीं लगा पाई लेकिन एनएमडीसी सरकारी होने के कारण कारखाना लगा ली । अब जब नगरनार स्टील कारखाना निजीकरण की भेंट चढ़ रहा है, तब मार्क्सवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम अपने सहयोगियों के साथ प्रभावित ग्राम पंचायतों में दौरा कार्यक्रम कर रहे हैं तथा हर ग्राम पंचायत से यह प्रस्ताव पास हो रहा है की भू स्वामियों ने सरकारी कारखाने के लिए जमीन दी थी निजी के लिए नहीं । यदि नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होगा तो ग्राम पंचायत अपनी दी हुई कंसर्ट को वापस ले रहे हैं इस संदर्भ में एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार हो गई है। इस आंदोलन को कांग्रेस के जनप्रतिनिधि खुले तौर पे मदद कर रहे हैं जबकि केंद्र में भाजपा का शासन होने के कारण भाजपा के जन प्रतिनिधि चुप बैठे हैं हालांकि उनका मानना है कि क्षेत्र के जनता की नाराजगी जायज है। कारखाने का निजीकरण गलत संदेश देने वाला है।