बिलासपुर। वर्ष 2019 में बिना विभागीय मान्यता के संकल्पित सेवा संस्थान ने बड़े जोर-शोर से मिशन कंपाउंड स्थित अस्पताल के पुराने आईसीयू में वृद्धाश्रम खोला था। एनजीओ में नाम की सूची देखकर लगता है कि इस संस्था में नामी-गिरामी चिकित्सक शामिल है। इन डॉक्टरों ने ऐसे वृद्धजनों की सेवा का संकल्प लिया जो आम तौर पर बीमार ही रहते हैं। आश्चर्यजनक बात है कि आम एनजीओ से हटकर इस एनजीओ को निराश्रित निधि से एक बड़ी धनराशि भी प्रारंभिक साल में ही दे दी गई। अधिकारियों ने अपनी पीठ थपथपाते हुए आश्रम का उद्घाटन कर दिया । आज 2020 समाप्त होने के माह पर खड़ा है, किंतु इस वृद्ध आश्रम को विभागीय मान्यता प्राप्त नहीं हुई है । कर्मचारियों के बताए अनुसार मिशन अस्पताल प्रबंधन इस स्थान का किराया 50 हजार रुपए लेती है। मिशन अस्पताल का ओपीडी लगभग बंद हो चुका है, और इस भवन की स्थिति भी जीर्ण छिर्ण है। 50 हजार रुपए कोई मामूली रकम नहीं है इससे यह पता चलता है कि समाज कल्याण और एनजीओ के संचालक के बीच आश्रम शुरू होने के पहले ही पैसा कहां से खाया जाएगा कि न्यू पड़ गई है। जब आश्रम शुरू हुआ तब यहां पर 12 से 13 वृद्धजन थे। किंतु अब मात्र तीन है। कुछ ही दिन पहले मिशन अस्पताल प्रबंधन आश्रम की बिजली पानी व्यवस्था काट दी थी बाद में बिजली तो दे दी पर पानी अभी भी बाहर से लाना पड़ रहा है। संचालन की स्थिति ठीक नहीं है तभी तो बाहर से मददगार पका हुआ भोजन लाकर वृद्ध जनों को खिलाते हैं नियमतः देखा जाए तो यह ठीक नहीं है क्योंकि बाहरी खाने से यदि किसी हितग्राही की तबीयत खराब होगी तो सेवा भाव से खाना खिलाने वाला भी विवादों में घिरेगा। योजनाओं की स्थिति पर एनजीओ के कामों पर जब विभाग के संयुक्त संचालक से संपर्क किया गया तब उन्होंने कहा कि हमने विभागीय मान्यता का आवेदन पढ़ा ऊपर भेज दिया था। उसके आगे हमें नहीं पता, और अवकाश होने के कारण से जानकारियां विभागीय टाइम पर पता करना उचित होगा।