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Hnbc मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन करता डायोसिस
Sunday, 20 Jul 2025 18:00 pm
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बिलासपुर, 21 जुलाई 2025। 
अपंजीकृत छत्तीसगढ़ डायोसिस ने 20 जुलाई को अपने 10 सदस्यों को अनुशास्मक कार्यवाही करते हुए निकाल दिए। ये 10 सदस्य वे हैं जो अपंजीकृत डायोसिस और छत्तीसगढ़ डायलिसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन में पारदर्शिता के लिए न्यायिक लड़ाई छेड़ हुए हैं। वर्ष 2016-17 से 19 जून को सिविल लाईन थाना रायपुर में सीडीबीई के कथित पदाधिकारी के खिलाफ संज्ञेय अपराधों में दर्ज हुए। तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका रायपुर सत्र न्यायालय से खारिज हो चुकी है। और अभी उच्च न्यायालय बिलासपुर में इनमें से किसी की भी अग्रिम जमानत याचिका पंजीकृत नहीं हुई है। 
इस बीच डायोसिस को एक बड़ा झटका उच्च न्यायालय बिलासपुर में लगा जब कथित पावर ऑफ अटॉर्नी और लॉक्स को आधार बनाकर मिशन अस्पताल प्रकरण में डायोसिस के अवैधानिक पदाधिकारी की याचिका खारिज हो गई। हास्यास्पद पर बात यह है कि इन्हीं लोगों को डायोसिस ने 2023 में भी निकाल दिया था और ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि जिन्हें निकल गया था उन्हें वापस लिया गया है। प्रश्न उठता है डायोसिस बस्तर से रायपुर राजधानी तक अपने दुष्कर्मों को छुपाने के लिए क्या यही करता। अनुशासनात्मक कार्यवाही के नाम पर इनको निकाल कर उन्हें इस संस्कार से भी वंचित किया गया जिसके तहत उन्हें प्रभु की वाटिका में कफन होने का हक है। यह मानव अधिकार का हनन का सीधा उदाहरण है। जो छत्तीसगढ़ में हो रहा है। 
निकल जाने वाले लोगों में से यशराज और बिनु बैनेट को कुछ दिन पूर्व झूठे केस में फंसा कर डायोसिस के पदाधिकारी ने जेल भेजा था। न्यायालय में जमानत के लिए दिए गए आदेश में कहा मामला नहीं बनता। जमानत दी गई अब सिस्टम यही है जो व्यवस्था में उत्तरदायित्व पारदर्शिता की बात करें उसे किसी भी तरह चुप कराओ यहां तक की इसे दफन होने के हक से भी वंचित कर दें। ईसाई समाज के भ्रष्ट व्यवस्था में तो पूरा का पूरा कब्रिस्तान बेच दिया जाता है और यह बिलासपुर में हो चुका है।