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न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्णय से खुलता है राज्य का सबसे बड़ा शैक्षणिक घोटाला सालेम स्कूल की प्राचार्या की अग्रिम जमानत याचिका खारिज़
Sunday, 29 Jun 2025 18:00 pm
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बिलासपुर, 30 जून 2025। 
          सिविल लाईन थाना रायपुर की अपराध क्रमांक 281/25 के प्रकरण में श्रीमती रूपिका लॉरेंस के अधिवक्ता सुरेंद्र महापात्रा द्वारा सत्र न्यायालय रायपुर में बीएनएस की धारा 482 के तहत प्रस्तुत अग्रिम जमानत आवेदन पर विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी के कोर्ट में 26 तारीख को बहस हुई। अपराध क्रमांक 281/25 के अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471, 34 भारतीय दंड विधान 1860 की केस डायरी विरोध पत्र के साथ प्रस्तुत की गई। आवेदिका/अभियुक्ता के विद्यमान अधिवक्ता का तर्क था कि अभियुक्ता को निर्दोष झूठ फसाया गया। वह सालेम इंग्लिश स्कूल में प्रभारी प्राचार्या के पद पर पदस्थ है। अभियुक्ता के गिरफ्तार होने पर उसकी प्रतिष्ठा धूमिल होगी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक एवं प्रार्थीगण का तर्क यह था कि अभियुक्ता एवं अन्य छल, कपट, धोखा-धड़ी करके दस्तावेजों की कुटरचना एवं उसकी असल के रूप में उपयोग करने संबंधी गंभीर आरोप लगे है। अतः अग्रिम जमानत याचिका निरस्त किया जाए। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है प्रार्थी अजय जाॅन, नीलिमा राबिंस, बीनू बेनैट ने थाने में लिखित शिकायत दिनांक 13 जून 2024 को नितिन लॉरेंस के द्वारा एक फर्जी शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिस पर अपराध क्रमांक 336/2024 पंजीबद्ध हुआ। जिसमें नितिन लॉरेंस ने अपने आप को वाइस चेयरमैन छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन बताया और जयदीप रॉबिंसन ने अपने आप को उक्त बोर्ड का सचिव बताया। गलत लेटर पैड का इस्तेमाल कर के अपने आप को उस पद पर होना बताया। थाना प्रभारी को गलत जानकारी देकर प्रभावित कर के अपराध दर्ज करये जबकि दोनों व्यक्ति का नाम रजिस्टर फॉर्म सोसायटी द्वारा प्रदान की गई धारा 27 के प्रति में उल्लिखित नहीं है। विद्यमान न्यायाधीश ने आगे लिखा कि दोनों व्यक्तियों द्वारा विगत 1 वर्ष से लेटर पैड का गलत इस्तेमाल किया जा है।
शालाओं के शिक्षकों, प्राचार्यों, ऑफिस कर्मचारियों का निलंबन किया गया। आगे निलंबन किये गए शिक्षकों का नाम है साथ ही यह भी लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन के अधीन को भी विद्यालय 18 मार्च 2015 से वर्तमान तक नहीं है आदेश में लिखा गया है कि केस डायरी के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि आवेदीका/अभियुक्ता सहित जयदीप रॉबिंसन, नितिन लॉरेंस, एसके नंदा, अजय उमेश जेम्स एवं बीके नायक के विरुद्ध आपस में मिली भगत कर के स्वयं को सीडीबीई संस्था के पदाधिकारी बढ़कर प्रबंधना करते हुए कूट रचना करके सदोष लाभ अर्जित करने के संबंध में प्रथम दृष्टिया साक्ष्य भी संकलित किया गया है। 
न्यायाधीश ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के अंतर्गत न्यायालय को प्राप्त शक्तियों का वर्णन किया है और कहा कि अभियुक्ता के द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने के संबंध में जो परिस्थितियां बनाई गई है वह अपवादित दिशाओं की कोटी में नहीं आता, अतः आवेदन पत्र निरस्त किया जाता है। अग्रिम जमानत आवेदन पत्र निरस्त होने के बाद न्यायालय के आदेश को पढ़ने से लगता है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद शिकायतकर्ताओं ने व्यापक दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। सीडीबीई के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारीयों के विरुद्ध जिस तरह के दस्तावेज प्रस्तुत हुए है। यह संपूर्ण मामला डॉक्यूमेंट एविडेंस पर निर्भर है। गवाह बयान से होस्टाइल होते हैं पर दस्तावेज होस्टाइल नहीं होते। ऐसे में यह पूरा प्रकरण सीडीबीई की और उसके कथित पदाधिकारीयों की पूरी कलई खोल देता है। बिलासपुर में भी सीडीबीई द्वारा संचालित एक स्कूल बर्जेस अनुदानित/गैर अनुदानित में लगातार चल रहे गड़बड़ियों की शिकायत हुई थी जांच हो चुकी है पर जांच प्रतिवेदन लगातार लंबित है। सिविल लाईन थाना रायपुर की एफआईआर में यह तथ्य की 2015 से वर्तमान तक सीडीबीई के पास कोई स्कूल संचालन नहीं है तब छत्तीसगढ़ के 19 स्कूलों का संचालन फर्जी तरीके से हो रहा है। और राज्य के विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारीयों के पास शिकायतकर्ता लगातार आवेदन पत्र सप्रमाण दे रहे हैं लगता है पूरे स्कूलों का संचालन ही अवैध है तो छत्तीसगढ़ के शिक्षा इतिहास में यह सबसे बड़ा शैक्षणिक घोटाला है। और बगैर संरक्षण के यह कार्यान्वित नहीं हो सकता।