बिलासपुर। बिलासपुर में राज्य सरकार के दर्जनों कार्यालय हैं, किंतु जनसंपर्क कार्यालय जैसी बदहाल स्थिति शायद ही किसी और दफ्तर की होगी। ऐसा बताया जाता है कि बिलासपुर में जनसंपर्क का संभागीय दफ्तर है और यहां ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर का अधिकारी बैठना चाहिए । लगभग 2 माह पूर्व सदस्य संयुक्त संचालक ने वी व्हीआरएस ले ली तब से दफ्तर में इस पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं हुई ऐसे में सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के समाचार मंत्रियों के दौरे की खबरें सहित सरकार की गतिविधियों का सकारात्मक पक्ष रखने में अब लापरवाही साफ दिखती है छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला अवसर है जब जिले का राजनैतिक महत्व अपने सबसे निम्न स्तर पर है। 2001 से 2003 बिलासपुर में मुख्यमंत्री का गृह जिला और विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचित क्षेत्र रहा। तब कम संसाधन में भी जनसंपर्क विभाग का काम प्रशंसनीय था उसके बाद बिलासपुर शासनकाल में बिलासपुर जिले से एक या दो कैबिनेट मंत्री तथा एक राज्यमंत्री रहा। दूसरी पारी में बिलासपुर से एक कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रहा । तीसरी पारी में एक कैबिनेट मंत्री रहा इन सबके बीच बिलासपुर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की प्रशासनिक गतिविधियां भी जनसंपर्क के कार्य क्षेत्र में रही 2018 में कांग्रेस की सत्ता आने के बाद न तो इस जिले में कैबिनेट मंत्री है न ही कोई ऐसा दमदार जनप्रतिनिधि जो सत्ता पर दबाव रखता हो ऐसे में जनसंपर्क विभाग के संभागीय दफ्तर की अनदेखी की कहानी शुरू हो गई तभी तो रायपुर संचनालय के अधिकारियों के लिए बिलासपुर दफ्तर का कोई मोल नहीं है।