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24hnbc आस्तिक हुए बिना भी किया जा सकता है नदी का संरक्षण
Monday, 03 Feb 2025 18:00 pm
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बिलासपुर, 4 फरवरी 2025। 
आज नर्मदा जयंती है। नदी के तट पर जहां-जहां नर्मदा आरती होती होगी आज और जोर-जोर से होगी। अमरकंटक से निकलने वाली और भरूच गुजरात समुद्र में मिलने वाली नर्मदा का इतिहास अपने साथ मानव समाज और वन्य प्राणी के साथ जलचर के प्राणियों से भरपूर है। 
नदी के संरक्षण के लिए आस्तिक होना जरूरी नहीं है ईश्वर में, वेदों में विश्वास किए बिना नदी का संरक्षण हो सकता है। पर हमारे कथनी और करनी में अंतर है। इस नदी पर बने बांधों ने नदी के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया है और अब स्टीमर चलाने की योजना नदी की पवित्रता को भी संकट में डालेगी। नदी का संरक्षण उनकी आरती करने मात्र से नहीं होगा। मेघालय के नागरिक इसका उदाहरण है। वे एक नागरिक के रूप में अपने प्रदेश की नदियों का संरक्षण करते हैं। प्रदेश की सबसे साफ बहने वाली नदी इसी प्रदेश में है।