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24hnbc.com नजूल एक्ट की धारा 82 से कूद कर 85 पर कैसे पहुंच गए बिलासपुर कलेक्टर
Wednesday, 27 Nov 2024 18:00 pm
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बिलासपुर, 28 नवंबर 2024।
बिलासपुर कलेक्टर ने बहु चर्चित मामला क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन डब्ल्यूएमबीसी डायरेक्टर रमन जोगी के संदर्भ में 28 जून 2024 को एक आदेश दिया जिसमें उन्होंने यह कहा कि आवेदक ने नजूल खसरा संधारण सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20/1 एवं 21 रखवा 382711 वर्ग फुट एवं 405 00 वर्ग फुट की लीज इस आधार पर निरस्त की जा रही है कि उन्होंने लीज की शर्तों का उल्लंघन किया। 
कलेक्टर ने यह माना कि आवेदक क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन को यह जमीन 17 सितंबर 1964 को अस्पताल निस्वार्थ भाव से चलने के लिए प्रदान की गई, कलेक्टर के इस आदेश में विधि के प्रावधानों से ज्यादा चर्चा इस बात की है कि बिलासपुर शहर की पार्किंग व्यवस्था के लिए नगर पालिक निगम ने इस निशुल्क हस्तांतरण करने की मांग की है। साथ ही यह भी कहा कि बिलासपुर की विकास योजना 2031 में इस स्थान का क्या उपयोग है। 
मध्यप्रदेश और वर्तमान छत्तीसगढ़ में नजूल एक्ट समान रूप से लागू है। लीज को निरस्त करने की धारा नजूल एक्ट की धारा 85 के अंतर्गत आता है इससे पहले यदि लीज का धारक टट्टे पर ली गई भूमि की शर्तों का उल्लंघन करता है तो धारा 82 के तहत लीज उल्लंघन के लिए उसे विधिवत नोटिस दिया जाना चाहिए। उसके बाद पट्टाधारी जवाब प्रस्तुत करता है। प्रावधानों के मुताबिक 83-84 के अंतर्गत जुर्माना आरोपित किया जाता है। जुर्माना पटाने के लिए समय दिया जाता है पट्टाधारी असंतुष्ट होने पर अपील प्रस्तुत कर सकता है। पर यहां देखने लायक बात है कि क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन छत्तीसगढ़ के अंतर्गत जो भी कुछ लीज का उल्लंघन करने वाली गतिविधियां संचालित हुई जैसे वंदना अस्पताल का संचालन और वल्लाह कैंटीन का संचालन दोनों को बिलासपुर शहर की दो बड़ी हैसियत से लाइसेंस प्राप्त हुआ था और दोनों के लाइसेंस के लिए पर्याप्त साधन प्रस्तुत करने पड़ते हैं। क्या गुमास्ता लाइसेंस देने के पूर्व नगर पालिक निगम यह नहीं जानती थी कि आवेदक लीज की भूमि पर व्यवसाय संचालन करेगा और लीज किस काम के लिए दी गई है। यही बात वंदना अस्पताल के संदर्भ में भी कहा जा सकता है लगता है पट्टा निरस्तीकरण का आदेश देने वाले अधिकारी ने क्रिकेट खूब खेला है तभी तो नजूल एक्ट की धारा 82 के बाद सीधा पचासी के लिए छक्का जड़ दिया। बीच की प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया।
 बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के सभी बड़े शहरों में नजूल भूमि है और पट्टाधारी लीज का खुलेआम उल्लंघन करते हैं पर पट्टों को निरस्त कर देना तो दूर की बात लीज की शर्तों का उलंघन होते हुए देखने के बाद नजूल अधिकारी पट्टा धारक पर जुर्माना नहीं करते।, जब कभी भी कलेक्टर बिलासपुर का यह आदेश उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में गुण दोष के आधार पर सुना जाएगा एक्ट की धारा 82 से 85 तक पर रोचक बहस होगी जो भविष्य में नजीर बनेगी।