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24hnbc अवैध प्लाटिंग का खेल, पूरे कुएं में घुली है भांग
Tuesday, 15 Oct 2024 00:00 am
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बिलासपुर, 15 अक्टूबर 2024। 
बिलासपुर जिले में सरकारी जमीन को चर जाना बगैर सरकारी नियमों का पालन किये जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बेचना लंबे समय से चल रहा है। कभी-कभी प्रशासन इन मामलों में कार्यवाही करता दिखाई देता है। अभी हाल ही में लाल खदान मुख्य मार्ग , नगर पालिक निगम क्षेत्र बिलासपुर समाप्त होते ही पहले ग्राम पंचायत मुख्य मार्ग के दाएं और अन्नपूर्णा (अवैध प्लाटिंग) के आकर्षण गेट और बाउंड्री को प्रशासन ने तोड़ दिया। सराहनी पहल थी, इसके साथ ही कुछ प्रश्न भी उठ गए। मुख्य मार्ग पर चल रही यह फ्लर्टिंग 2021 से आकर ले रही है। इस मार्ग के अतिरिक्त कोई ऐसा मार्ग नहीं है जहां से मस्तूरी जा सकें।
राजस्व विभाग के कई कर्मचारी यहां से आना-जाना करते हैं सबको दिखाई दे रहा था, इस ग्राम पंचायत में लंबे समय से अवैध प्लाटिंग का काम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में चला रहा। कब्रिस्तान की जमीन से रास्ता देकर अवैध प्लाट बेचने वालों को उत्कृत किया गया। तालाब के पार को पाट कर प्लाट बना दिया गया।
एक पूर्व की शिकायत जो एसडीम बिलासपुर से वर्ष 2018-19 में की गई थी। उसे कांग्रेस के एक नेता ने विशेष प्रयास कर बिल्हा एसडीएम के पास स्थानांतरित कराया था। करण परिश्रम से सरपंच बने व्यक्ति उसके मित्र थे। अवैध प्लाटिंग की शिकायत का प्रकरण एसडीम बिलासपुर क्षेत्राधिकार से सुनवाई की खबर बनती थी। किंतु यही प्रकरण जब बिल्हा एसडीएम को स्थानांतरित किया गया तो खबर बंद हो गई और प्रकरण के पक्षकारों के बीच समझौता हो गया। 
वर्तमान में अन्नपूर्णा में कार्यवाही के साथ कुछ तथ्य भी हैं, खसरा नंबर 151 जिस पर यह अवैध प्लाटिंग हो रही है, उसका बटांकन 217 तक पहुंच गया। बिलासपुर डीपी चौबे स्मृति प्रेस ट्रस्ट के सामने स्थित एक जमीन दलाल के द्वारा ये अवैध प्लाटिंग कराई गई। बटांकन रजिस्ट्री पश्चात नामांतरण हवा में नहीं होता। हर बार बी-1 जारी होता है। रजिस्ट्री के बाद नामांतरण का आवेदन लगता है तब पटवारी, आरआईं, तहसीलदार तीनों को पता होता है कि एक खसरे में लगातार कितने नामांतरण हो रहे हैं। क्या 3 साल के दौरान एक बार भी संबंधित हल्का पटवारी ने एसडीएम को लिखित सूचना देना उपयुक्त नहीं समझा। अन्नपूर्णा अवैध कॉलोनी के भीतर मकान भी बना रहे हैं। ग्राम पंचायत में नक्शा कैसे पास होता है सब को पता है। केवल खसरा के भू स्वामी को विभिन्न धाराओं के तहत नोटिस देने का क्या औचित्य, अवैध प्लाटिंग के खेल में तो पूरे कुएं में भांग घुली है।