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87 से लेकर 24 तक नहीं बदली तस्वीर भारतीय समाज में महिलाओं को न्याय के लिए ऐसा संघर्ष क्यों करना पड़ता है
Thursday, 10 Oct 2024 18:00 pm
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बिलासपुर, 11 अक्टूबर 2024।
4 सितंबर 1987 दिवराला राजस्थान रूप कवंर सती कांड, सती महिमा मंडन के आठों अभियुक्त बरी हो गए सभी पुरुष थे। भारत की राजनीति सामाजिक परिवेश महिला विरोधी नजरिया के कारण पूरे देश की भारी बदनामी हुई। 3 जनवरी 1988 को भारतीय संसद ने सती निवारण अधिनियम लागू किया उसे समय चुनरी महोत्सव पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी। पर न केवल महोत्सव हुआ बल्कि 2 लाख से अधिक लोग वहां जूटे। यह वह दौर था जब संचार के साधन आज के मुकाबले कुछ नहीं था। 
बिलासपुर श्रीकांत वर्मा मार्ग 6 अक्टूबर रविवार 2024 को प्रियंका सिंह उम्र लगभग 50 साल पति रेलवे में नौकरी करता है ने फेसबुक लाइव होते हुए कई प्रभावशाली पुरुषों पर छेड़खानी, मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। 
आमतौर पर महिलाएं सास ससुर की प्रताड़ना, प्रेमी की बेवफाई के चक्कर में आत्महत्या करती है। पर प्रियंका सिंह के पति तो सरकारी नौकरी में हैं वैवाहिक जीवन सामान्य है और बेटी पढ़ाई में ठीक-ठाक है। अपराध के क्षेत्र में एक बेहद सामान्य बात है कहा जाता है जर, जोरु, जमीन कारण होते हैं। अपराध का प्रियंका सिंह ने इस क्षेत्र में रहने वाले जिस कथित प्रभावशाली लोगों का नाम लिया है। वे विभिन्न कारणो से विवादित है। जमीन दलालों के बीच इन दोनों दबी जवान से चर्चा चल रही है कहते हैं पुलिस की जांच का एंगल भी है। की श्रीकांत वर्मा मार्ग में स्थित एक मंदिर के आसपास जमीन का एक टुकड़ा प्रियंका सिंह की जान का दुश्मन बन बैठा है। श्रीकांत वर्मा मार्ग की जमीनों की एक विशेषता है। मार्ग के प्रारंभ से लेकर अंत तक, दाएं तरफ हो या बाएं तरफ हर जमीन के पीछे एक कहानी है। बाई और की पहली जमीन में भी एक महाराष्ट्रीयन महिला अपने साथ हुए अन्याय के कारण आज भी कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रही है। कहा जाता है कि रसूखदार लोगों ने उनके हिस्से की जमीन इस तरह बिगड़ी की आज तक नहीं मिली। 
कुछ दिन पहले इसी मार्ग पर अन्ना दोसा के नाम पर एक दोसा सेंटर किराए की जमीन पर चल रहा था। भूमि स्वामी जिसका नाम इस आत्महत्या प्रकरण में भी उछल रहा है एफआईआर मैं भी नाम है कहा जाता है कि जिसे निजी भूमि बताया जा रहा है उसमें 26 डिसमिल जमीन शासकीय है। और इसी जमीन पर बगैर नक्शा पास कराए दुकाने बना दी गई। प्रतिमा लाखों रुपया कमाया जाता है। भूमि विवाद के कारण बिलासपुर में आत्महत्या का यह पहला प्रकरण नहीं है। कांग्रेस शासन काल में दो लोगों ने आत्महत्या की और उन मामलों में अभियुक्त की गिरफ्तारी वर्तमान शासन में हुई। नागरिक संगठनों को लगता है कि भाजपा शासन काल में पुलिस बेहतर तरीके से कम कर रही है यदि यह सही है तो प्रियंका सिंह आत्महत्या कांड के मामले में कार्यवाही निष्पक्ष हो जाएगी। पुलिस के समक्ष दो ही रास्ते थे पहले जांच फिर एफआईआर या पहले एफआईआर फिर जांच। पुलिस ने समझदारी का परिचय दिया पहले एफआईआर फिर जांच इससे उसे पर दबाव कम हो गया कहते हैं कुछ नामचीन धनाढ्य इन मामले में बचने के लिए खोखा लेकर घूम रहे हैं।