फर्जी और एमबीबीएस लापरवाही में एक समान लोकल बिल्हा में कार्यवाही से क्यों पीछे हटते हैं खंड चिकित्सा अधिकारी
Saturday, 28 Sep 2024 00:00 am
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बिलासपुर, 28 सितंबर 2024।
बिल्हा को छत्तीसगढ़ का ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा विकासखंड कहा जाता है। पर यहां स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एमबीबीएस और झोलाछाप डॉक्टर अपनी लापरवाही को लेकर एक ही श्रेणी में रखे जाएंगे और ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी का रवैया उनके प्रति झोलझाल वाला है।
शुक्रवार के दिन पोड़ी के एक झोलाछाप डॉक्टर के क्लीनिक को खंड चिकित्सा अधिकारी ने सील किया और सा दल बल खूब फोटो खींचवाई। अपने कार्यालय से दूर चल रहे फर्जी क्लीनीक उन्हें दिखाई देते हैं। कार्यवाही का दाम भी भरते हैं पर बिल्हा खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से महज 15 मिनट की पैदल दूरी पर चल रहे फोटोकॉपी दुकान का फर्जी डॉक्टर उन्हें दिखाई नहीं देता। इसे निकट दृष्टि दोष या दूर दृष्टि दोष किस श्रेणी में रखा जाए।
सुबह कथित फोटो कॉपी/फर्जी क्लीनिक शुरू हो जाता है। सोनामधन्य डॉक्टर महोदय बातचीत के साथ-साथ अपना मूल व्यवसाय जिसकी उन्हें इजाजत ही नहीं है धल्ले से करते हैं। मैं अपने समाज का महामंत्री हूं मेरी पत्नी भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की पदाधिकारी है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष कल ही मेरे घर से बैठ कर गए, सामने जो नक्शा लगा है इसमें चिन्हित गांव का विधायक है वो मैं यूं ही इस काम को नहीं कर रहा वगैरा-वगैरा फर्जी डॉक्टर की पूरी बातों का यह सार था कि वह समाज का और सत्ताधारी दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति है। इसलिए उसे नियम विरुद्ध चिकित्सा व्यवसाय करने का अधिकार है।
अब नंबर एमबीबीएस डॉक्टर का इसका क्लीनिक तो मुख्य मार्ग पर स्थित है डॉक्टर का नाम थवाईत है। क्लीनिक के भीतर दो नर्स ड्यूटी रत है और उन्होंने बताया कि अभी डॉक्टर साहब शासकीय अस्पताल में कमरा नंबर 105 में है। इंतजार करिए बुला देते हैं। क्लीनिक के बाहर उपयोग की गई दवाइयां और इंजेक्शन खुले में पड़े थे। जो कि नियमों का खुल्लम-खुल्ला मजाक है। बिल्हा में खंड चिकित्सा अधिकारी कोई भी हो अस्पताल में सरकारी नौकरी करने वाले चिकित्सकों का निजी प्रैक्टिस खुले आम होता है। वह भी ड्यूटी टाइम में, यदि पति-पत्नी दोनों शासकीय चिकित्सक हैं कई बार तो मां बेटी भी चिकित्सक हैं। तो एक दूसरे के प्रिपकप्शन पर जांच भी लिख दी जाती है। ऐसा विशेष कर तब होता है जब मरीज का विशेष डॉक्टर सरकारी ड्यूटी पर है और उसका रिश्तेदार क्लीनिक पर है। जिसका सीधा अर्थ है कि पेशेंट को पति पत्नी या मां बेटी चिकित्सक दोनों जानते हैं। और ऐसा मानते हैं कि घी (फीस ) तो खिचड़ी में ही आएगा।
बिल्हा शहर के अंदर संचालित फर्जी क्लीनिक और पैथोलैब की शिकायत एक से अधिक बार खंड चिकित्सा अधिकारी को की गई है। पर खंड चिकित्सा अधिकारी महोदय कार्यवाही के पहले की जाने वाली लंबी सूची एसडीएम या उनके द्वारा नियुक्त किया गया अधिकारी का लिखित आदेश, पुलिस बल की उपलब्धता संबंधित थाना क्षेत्र जैसी आवश्यक प्रक्रिया को बताते हुए मजबूरी साझा करते हैं। दबी जवान में लोग यह कहते हैं कि फर्जी क्लीनिक का धंधा सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत से ही चलता है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिल्हा के अंदर चलने वाली पैथोलैब में कोई पैथोलॉजिस्ट नहीं है। और सब टैक्स रीडिंग पर हस्ताक्षर बिलासपुर से डिजिटल हो जाता है।