24hnbc कुपढ़ खबरचीओं के कारण झुक गई गर्दन
Wednesday, 11 Sep 2024 18:00 pm
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बलौदाबाजार, 12 सितंबर 2024।
बलौदाबाजार जिले में एक संगठित हनी ट्रैप मामला क्या हुआ उसे पर मायापुरी, सरस सलील, चैन से सोना है तो जाग जाओ, डायल 100 टाइप से लिखने वालों की बाछे खिल गई। अपराध के पुरुष किरदारों से ज्यादा उन महिलाओं की फोटो बार-बार छापी गई दिखाई जा रही है जिन्हें अभी न्याय मिलना है। पर मीडिया ट्रायल ने उनकी संभावित भविष्य के सामाजिक जीवन को लगभग समाप्त कर दिया। वे चाहे तो भी सामान्य जिंदगी गुजर बसर नहीं कर सकते लगता है छत्तीसगढ़ राज्य में जो महिला आयोग है वो केवल उनके लिए है जो उनके दर पर आवेदन लेकर पहुंचते हैं।
डिजिटल मीडिया में ऐसे कुपढ़ खबरचीओं की बड़ी संख्या है। जिन्होंने कभी पत्रकारिता के घोषित सैद्धांतिक नियमों को कभी जाना ही नहीं, उन्होंने भारतीय कानून की उन धाराओं को भी नहीं पढ़ा जिनके अंतर्गत इस तरह का लिखना दंडनीय श्रेणी में आता है। हनी ट्रैप की पुरुष किराएदारों की फोटो उतनी बार नहीं लगाई गई जितनी बार महिला किरदारों को दिखाया गया। इससे यह पता चलता है कि पत्रकारिता में पुरुषवादी सोच कितने अंदर तक पैठ कर चुकी है।
मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार जिसका नेतृत्व कमलनाथ कर रहे थे की समय इंदौर भोपाल से एक हनी ट्रैप का मामला खुला जिसके तार सागर तक जुड़े थे मुख्य महिला किरदारों की फोटो लगाने की हिम्मत उस समय नहीं हुई। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि उन किरदारों के पास धन संपत्ति बहुत थी और वह कानूनी रूप से ऐसी कुपढ़ मीडिया से निपट सकते थे। इस पूरे हनी ट्रैप के मामले में खबरचीओं के हाथ भी रंगे बताए जाते हैं। पर उन हाथों के साथ जो दिमाग है इसका जिक्र नाम सहित नहीं होता इशारों में बताया जाता है कि किसने कितना मांगा किसने कार मांगी और किसने धन स्थानीय पत्रकारों का संगठन भी अपनी धुलाई पूछाई को प्राथमिकता नहीं दे रहा है। इसे उचित नहीं कहा जा सकता। नेतागिरी, पुलिसगिरी, कल को सब पर छींटें पड़े पर पूरी कारीख बार-बार केवल महिला किरदारों पर लेपी जा रही है। इस पुरुष पत्रकार बिरादरी का दोहरा मापदंड कहा जा सकता है।
बलौदाबाजार की पत्रकारिता कठिन परीक्षा के दौर से गुजर रही है। इसे अभी नहीं सुधारा गया तो यह बड़ी पीड़ा दायक होगी।