24hnbc पारदर्शिता के अभाव में राज्य सरकार की नियत पर उठेंगे सवाल...
Monday, 19 Aug 2024 00:00 am
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बिलासपुर, 19 अगस्त 2024।
अब यह कोई छिपी बात नहीं है कि जिला प्रशासन मिशन अस्पताल की 12 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में लेने वाला है। बिलासपुर से प्रकाशित एक दैनिक अखबार में यह प्रकाशित हुआ कि जिला प्रशासन ने 7 दिन की मोहलत दी है। आखिर मिशन परिसर के अंदर घट क्या रहा है। यहां एक विश्वासी मंदिर है जहां पर बरसों से प्रार्थना सभा होती है। जब अस्पताल अपनी श्रेष्ठ सेवा दे रहा था तब भी यहां इस विश्वासी मंदिर में मरीज और उनके परिजन शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रेयर करते थे, अभी भी प्रत्येक दिन और विशेष तौर पर रविवार के दिन सैकड़ो आस्थावान स्त्री पुरुष प्रार्थना के लिए आते हैं। इसी परिसर में मिशन अस्पताल के एक दर्जन कर्मचारियों का आवास है। इन कर्मचारियों की गृहस्थी यहां पर 40-50 साल से बसी हुई है। कुछ परिवारों की तो पीढ़ियां बीत गई इतना ही नहीं इस परिसर में पिछले कुछ साल में तिब्बती उलन मार्केट लगता है यह तिब्बती मेनपार्ट से आते हैं। और उन्हें सरकार ने विशेष दर्जा दे रखा है। जब निगम ने उन्हें बाजार के लिए जगह देने में असमर्थता जाहिर की तब मिशन प्रबंधन उन्हें मैदान मुहैया कराया और बचा हुआ उलन सामान अभी भी अस्पताल के भवन के अंदर है। वह समान किसका माना जाएगा। भवन स्वामी का या तिब्बतियों का मिशन अस्पताल में जिला के कई ऐसे परिवार हैं जिनकी तीन पीढ़ियों के बच्चे वहां जन्म लिए।
जिला प्रशासन को भौतिक कब्जा प्राप्त करने के पूर्व पूरे पारदर्शिता के साथ यह बताना चाहिए कि अस्पताल संचालक के लिए ही दी गई इस जमीन का वह क्या करने वाली है। क्योंकि इसी तरह जिला प्रशासन ने अरपा नदी को पाट कर रोड बनाई। बस्ती खाली कराई और घोषित योजना आज तक आकर नहीं ले सकी।
लिंक रोड सैकड़ो पेड़ काटे जिस कथित उद्देश्य के लिए काटे गए वह पूरा नहीं हुआ। कंपनी गार्डन के पास खाली जमीन पर एक ऑडिटोरियम बना और ई राघवेंद्र राव हाल ज्यो का त्यो दम तोड़ते खड़ा है। क्या उसका पुनर्निर्माण नहीं किया जा सकता था। ई राघवेंद्र राव भवन ऐतिहासिक महत्व का है। उसे संरक्षित किया जा सकता है था पर उसके स्वरूप को बिगड़ गया। अस्पताल के स्थान पर अस्पताल प्रारंभ हो यही उचित है। यदि ऐसा नहीं होता तो 12 एकड़ जमीन का लिए निरस्तीकरण इशारा करेगा की राज्य सरकार की नजर अल्पसंख्यक को की जमीन पर है।