प्रशासन व जिम्मेदारों की मुक दर्शिता के चलते निर्मित शौचालय धूल फांक रहे हैं लाखों के लागत से बने सामुदायिक शौचालयों मे लटका है ताला
Saturday, 13 Jul 2024 00:00 am
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बलौदाबाजार, 13 जुलाई 2024। समाचार संकलन जिला प्रतिनिधि
स्वच्छ भारत मिशन मे केंद्र से लेकर राज्य सरकार करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रहे है, बावजूद इसके निचले स्तर पर अब भी कई तरह की विसंगतिया व लापरवाही देखने को मिल रही है। 2014 मे सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान देश भर मे शुरू किया था, जिसके अंतर्गत गलियों, सड़को तथा अधोसंरचना को साफ -सुथरा रखना, हर घर मे शौचालय की सुविधा होना, सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले मे शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना, इस योजना का मुख्य लक्ष्य है । इसी उद्देश्य हेतु बलौदाबाजार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों मे बने सामुदायिक शौचालय जो कई जगह अधूरे पड़े है तो वही कई जगह ताला लटका हुआ है | स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत खुले में शौच रोकने के लिए सरकार ने ग्राम पंचायतों में नागरिकों के लिए व्यक्तिगत शौचालय का लाभ दिया | इसके बाद भी गांव में आबादी को देखते हुए लाखों का खर्च कर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया ताकि ग्रामीण खुले में शौच के आदत से छुटकारा पा सके । बलौदाबाजार जिले मे भी लगभग अभी तक 15 करोड़ लागत तक की 424 सामुदायिक शौचालय बनाया जा चूका है व 40-50 करीब निर्माणाधीन है | करोड़ों रूपये की लागत से बनाया गया सामुदायिक शौचालय अभी बंद पड़े हुए हैं | इन शौचालयों की रंगाई पुताई कराने के बाद उस पर ताला जड़ दिया गया है,बीते वर्षों से शौचालय पर ताला लगा है इससे ग्रामीण योजना का लाभ नहीं ले पा रहे है | विभागीय अधिकारियों के उदासीनता के कारण सामुदायिक शौचालय बेकार साबित हो रहा है| साथ ही रखरखाव के अभाव में शौचालय जर्जर हो रहा है ।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्रामीण स्तर की स्वच्छता से ही राष्ट्र की स्वच्छता है के व्यापक सोच के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है ।लेकिन फिर भी लोगों को खुले में शौच जाना पड़ रहा है, शौचालय शोपीस साबित हो रहे हैं, जो स्वच्छ भारत मिशन को तमाचा मारता प्रतीत हो रहा है | सरकारी आंकड़ों में स्वच्छता को लेकर किए जा रहे बड़े-बड़े दावे धराशाई होते नजर आ रहे हैं । अधिकारी इस मामले में ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अधर में पड़ी है | ज्यादातर शौचालयों को बस्ती से दूर बनाया गया है, जहाँ पानी व अन्य व्यवस्था की कमी है साथ ही उचित देख रेख के अभाव मे भवन धीरे-धीरे छतिग्रस्त हो रहा है।घटिया सामग्री प्रयोग होने के कारण अधिकांश शौचालय तो बनने के बाद ही बदहाल नजर आने लगे है तो वही अनेकों शौचालय भवन अभी तक अधूरे पड़े हुए है | लाखों रुपए पानी में बह जाने के बाद भी योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है । लोगों का कहना है कि अगर शौचालय में ताला ही लगाना था तो लाखों रुपया खर्च कर निर्माण क्यों कराया गया यह तो सरकार के पैसे की बर्बादी है । प्रत्येक समीक्षा बैठक में अधूरे शौचालय भवनों को पूरा करने का निर्देश दिया जाता है लेकिन निर्देश भी हवा हवाई साबित हो रहा है | शौचालयों पर ताला लगे होने के कारण कई स्थानों पर अभी भी लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं ।