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चुनाव में क्यों नहीं उठता यह सम-समायिक प्रश्न कोयला का धंधा असफल जनसुनवाई का स्कूली कनेक्शन
Monday, 22 Apr 2024 00:00 am
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बिलासपुर, 22 अप्रैल 2024। 
बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र दो जिलों को लेकर बनता है, पहले बिलासपुर दूसरा मुंगेली और वर्गीकरण की दृष्टि से मुंगेली के मुकाबले बिलासपुर जिले की अहमियत ज्यादा है। पिछले 5 साल में जिले के भीतर एक ऐसी जनसुनवाई नहीं हुई जो सफलता के अंजाम तक पहुंची हो, सीधा अर्थ है उद्योग लगाने वाले पर्यावरण के नियमों को तोड़ मरोड़ कर पूरा करना चाहते हैं और प्रभावित होने वाले ग्रामीण जन अब उनके झांसे में नहीं आते। 
मस्तूरी क्षेत्र में दो कोल वासरी और एक क्रेशर है। गिट्टी बनाने वाले क्रेशर की संख्या 18 से ज्यादा है। बिल्हा क्षेत्र में दो कोल वासरी और लगभग 32 क्रेशर है। तखतपुर में दो कोल वासरी, एक क्रेशर । कोटा क्षेत्र में तीन साइडिंग है एक अवैध क्रेशर चल रहा है। बेलतरा में दो कोल वासरी, दो साइडिंग और दो डंपिंग। बिलासपुर में तीन साइडिंग काम करती है। इसके अतिरिक्त जो चर्चित जनसुनवाई हुई उनमें पहला अडानी का प्लांट मस्तूरी क्षेत्र में, कॉल मेन की दो जनसुनवाई नेवर क्षेत्र में रद्द हुई। महावीर की खरगहनी की जनसुनवाई, पारस की तखतपुर जनसुनवाई तखतपुर क्षेत्र में रद्द हुई। प्रश्न उठता है कि विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव में कोल वासरी , कोल के डंपिंग और क्रेशर कभी भी प्रत्याशियों के प्रचार का विषय क्यों नहीं बनते क्या प्रत्याशी के चुनावी खर्च का प्रबंध इसी सेक्टर से होता है....?
दूसरा बिलासपुर के तमाम कोल वासरी के संचालकों का कहीं ना कहीं शिक्षा के कोचिंग संस्थान और स्कूल, महंगे स्कूल संचालक से सीधा संबंध है। यदि किसी शासन व्यवस्था की हिम्मत हो जाए, जांच हो जाए तो पीएमएलए के एक दर्जन एफआईआर बिलासपुर जिले में ही दर्ज हो जाएंगे । कोल माफिया का शिक्षा माफिया से सीधा संबंध बनता है सबसे खतरनाक बात कुछ उद्योगपति हमारी धरती का पर्यावरण मात्रा नहीं बिगाड़ रहे वे बच्चों से लेकर टीनएजर का भविष्य भी बर्बाद कर रहे हैं। कैसे....? पढ़े कल के अंक में......