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24hnbc बिलासपुर संसदीय चुनाव भाजपा की कमजोर होती राजनीति
Wednesday, 17 Apr 2024 18:00 pm
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बिलासपुर, 18 अप्रैल 2024। 
बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव को कांग्रेस पूरी गंभीरता से ले रही है। पहले कन्हैया कुमार फिर सुप्रिया श्रीनेत्र की धमाकेदार प्रेसवार्ता इस बात का प्रमाण है। भारतीय जनता पार्टी ने इसके मुकाबले तीन महिला नेत्रों से रायपुर में जो प्रेसवार्ता कराई वह बेहद फीकी रही यह तीनों महिला नेत्रियां हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई हैं और तीनों को उनके गृह जिले में भाजपा के नेता क्या स्थान नहीं दे रहे हैं। 
कन्हैया कुमार ने कांग्रेस भवन में चुनाव के राष्ट्रीय मुद्दे बिलासपुर शहर के ऐतिहासिक मुद्दे पर लंबा वक्तव्य दिया और प्रश्नों का सामना भी किया। पत्रकारों के उन प्रश्नों में भाजपा के प्रायोजित प्रश्न भी शामिल हैं। आज कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया फिर से मीडिया के सामने थी, कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्रीय संघ की इस रिपोर्ट की आज भारत की जनसंख्या 144 करोड़ हो गई है। को पूरी तरह नजर रखकर बना है। 
0 से 14 वर्ष की जनसंख्या 14%, 10 से 19 वर्ष की जनसंख्या 17%, 10 से 24 वर्ष की जनसंख्या 24%, 10 से 64 वर्ष की आयु वर्ग का प्रतिशत 68% है। 65 प्लस की जनसंख्या 7% इस जनसंख्या के 80 करोड़ को मोदी की गारंटी 5 किलो अनाज है। दूसरी और कांग्रेस का घोषणा पत्र युवा वर्ग, महिला वर्ग, वरिष्ठ नागरिक सब के लिए अलग-अलग वचन देता है। यदि चुनिंदा उद्योगपतियों का करोड़ों लाखों कर्ज रिटर्न ऑफ हो सकता है तो किसान की एमएसपी क्यों नहीं मानी जा सकती। 
बिलासपुर चुनाव में चुनाव को ऐतिहासिक दृष्टि से देखें भाजपा संडयत्र पूर्वक किसी सांसद को जवाब देहीं के लिए मतदाता के सामने नहीं लाती बरसों बरस बीत गए। बिलासपुर संसद को दिल्ली में मंत्री पद नहीं मिला झुनझुने के रूप में जूदेव को जब राज्य मंत्री बनाया गया तो वे बिलासपुर से सांसद नहीं थे। जब बिलासपुर से सांसद बने तो केवल सांसद थे, यहां तक की चार बार लोकसभा जीतने वाले मोहले को कभी भाजपा ने मंत्री के लायक नहीं समझा वे आरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। केंद्र में मंत्री ना बन पाने की पीड़ा मोहले जी तुकबंदी में निजी स्तर पर व्यक्त करते हैं। इतना तो है कि केंद्र में किसी की सरकार बने बिलासपुर संसदीय सीट से सदन में क्षेत्र की बात रखने वाला सांसद बन जाए यही बहुत है। सीधा अर्थ है मतदाता प्रधानमंत्री कौन बनेगा की चिंता छोड़ और सदन में प्रश्न करने वाले प्रत्याशी को वोट करें।