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24hnbc 22 तारीख के बाद वसुदेव कुटुंबकम् के क्या अर्थ होंगे....
Monday, 15 Jan 2024 18:00 pm
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बिलासपुर, 16 जनवरी 2024।
पूरा शहर ऊपर से निर्धारित की गई गाइड लाइन के अनुसार सजाया जा रहा है। पत्रकार वार्ता हो रही है इन सब के बीच सनातन धर्म जिसका हर कार्य शास्त्र-विधान से तय होता है। गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी "मंदिर नहीं, शिकार नहीं, शिखर में कलश नहीं और कुम्भाभिषेक के बिना मूर्ति प्रतिष्ठा कैसे" प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रभु श्री राम के शीर्ष के ऊपर चढ़कर जब राज मजदूर शिखर और कलश का निर्माण करेंगे तो इससे भगवान के विग्रह का निरादर होगा। उधर दूसरा पक्ष अपने तरह से चल रहा है प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदू समाज को एक चिर प्रतीक्षित उपहार दिया इसलिए उनके प्रयासों में त्रुटि नहीं निकाली जानी चाहिए। यहीं से इस पूरे इवेंट के दो पक्ष हो गए पहला पक्ष चार शंकराचार्य जो निर्विवाद रूप से सनातन धर्म के सर्वोच्च मार्गदर्शक हैं। किसी धार्मिक विषय पर यदि संप्रदायों के बीच मतभेद हो जाए तो इसका निपटारा शंकराचार्य ही करते हैं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे संन्यास की कि परंपरा से आते हैं। दूसरा पक्ष हिंदुओं का वर्ग विशेष जो मोदी जी को अपना हीरो मानता है इस अति उत्साह का एक कारण पूर्व के प्रधानमंत्री ने धर्म के मामले में सह अस्तित्व को केंद्र में रखा संतुलन की नीति पर चले इस सूची में भाजपा के नेता अटल बिहारी वाजपेई भी थे। राजधर्म पर उन्हें का जोड़ था मोदी की मिट्टी अलग है नोटबंदी, बेरोजगारी, जीएसटी, महंगाई, लॉकडाउन घोषित लक्ष्य प्राप्त न करने के बाद भी सफलता के झंडे जैड नजर आ रहे हैं।
वर्तमान इवेंट भी राजनीति लक्ष्य प्राप्ति का माध्यम है। देश की आध्यात्मिक चेतना को विकसित करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य नहीं है। सनातन धर्म का बड़ा वर्ग आध्यात्मिक गहराई में कोई रुचि भी नहीं रखता यह सब की क्षमता भी नहीं होती आस्था का कारण अध्यात्म से ज्यादा भावात्मक सुरक्षा है सवाल है सतनाम परंपरा राज आश्रित होने के बाद कैसा व्यवहार करेगी। राज आश्रित रहे एक से ज्यादा धर्म के उदाहरण हमारे सामने हैं धर्म अपने आदेश और उन आदेशों को मानने वालो की जीवन शैली से पुष्पित, पल्लवित, विकसित होता है। आने वाला समय यह बताया कि वे राजनीतिक दल जिनका दैनिक आचरण संविधान से गवर्न होता है और वे राजनीति दल जिसका दैनिक आचरण कहीं और से गवर्न होता है। नागरिक जिसके साथ जाना पसंद करेंगे देश के करोड़ नागरिक जो भाजपा को वोट नहीं देते उन्हें नए प्रकार के समाज किस तरह लिया जाता है। वसुदेव कुटुंबकम केवल नर नहीं है इसके गहरे अर्थ हैं। आज बाइक रैली में एक रंग है कल बाइक तो वही होगी झंडे के रंग बदल जाएंगे तब भी शासन प्रशासन क्या यही व्यवहार करेगा जो अभी कर रहा है।