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कहते हैं अमर भैया ही इस बार भी करेंगे कांग्रेस से मुकाबला शहर भाजपा में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नदारत परिणाम जनता के सामने
Friday, 06 Oct 2023 18:00 pm
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बिलासपुर, 7 अक्टूबर 2023।
11 दिसंबर 2018 के दिन जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वोटो की गिनती बिलासपुर कोनी स्थित मतगणना केंद्र पर चल रही थी और बिलासपुर विधानसभा से भाजपा के काद्यावर नेता डॉ रमन सिंह मंत्रिमंडल के खास अमर अग्रवाल को हर का मुंह देखना पड़ा तब बिलासपुर की नागरिकों के चेहरे पर एक अजब सी खुशी दिखाई दे रही थी। यह खुशी चेहरे से लेकर आंखों तक में दिखाई दे रही थी। हम कारणों पर नहीं जाते......। यहां इतने वर्ष बाद मतगणना की तिथि फिर से याद दिलाने का कारण यह है कि अब फिर से चुनाव आ गए जैसा अब तक खबरों में दिखाई दे रहा है कि भाजपा फिर से इस चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं बदलेगी और एक बार फिर से अमर अग्रवाल ही कांग्रेस के उम्मीदवार जो की शैलेश पांडे के होने की पूरी संभावना है का मुकाबला करेंगे।
चुनाव कौन कैसे लड़ेगा उसके पहले इस बात की चर्चा होनी जरूरी है कि 11 दिसंबर 2018 से अब जब 2023 के चुनाव के लिए आचार संहिता कभी भी लग सकती है के बीच इतने लंबे अंतराल में भी बिलासपुर के ओर से भाजपा के भीतर से किसी भी कार्य करता या नेता ने बिलासपुर शहर क्षेत्र का नेतृत्व करने की कोशिश नहीं की ऐसा नहीं है कि पिछले चुनाव परिणाम के बाद पराजित उम्मीदवार दूसरे दिन से ही दोबारा जनता के बीच आ गया हो। 4 साल में ऐसे बहुत से मौके आए जब नागरिकों को अपनी परेशानियों का हल नहीं मिला और उन्हें स्थानीय निकाय जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के समक्ष अपनी परेशानियां रखती थी और उन्हें एक नेतृत्व की जरूरत थी कई बार तो शहर के विधायक शैलेश पांडे ऐसे समूह का नेतृत्व करके आगे रहे। धीरे-धीरे एक साल, दो साल बीतता चला गया इस बीच भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों में पद परिवर्तन नहीं हुए। जानकार बताते हैं कार्यकाल पूरे हो चुके हैं।
एक से अधिक प्रदेश प्रभारी बदले, अध्यक्ष बदले गए पर बिलासपुर भाजपा की कमान नहीं बदली आखिर में क्या कारण है कि भाजपा का प्रत्याशी चाहे जो भी होता उसे उसी टीम से काम चलाना पड़ता। जिसे पूर्व माननीय मंत्री ने पदों पर बैठाया था। लगभग 1 वर्ष पहले से बिलासपुर शहर के तीन लोगों का नाम जनता के बीच प्रत्याशी के रूप में सुना जाने लगा मजेदार बात यह है कि ये तीनों नाम चिकित्सा जगत से ही आते थे।
हम उन तीन नाम का उल्लेख नहीं करना चाहते करण जिन्होंने कभी अपनी पार्टी के भीतर दमदारी के साथ टिकट नहीं मांगा जनता की परेशानियों में खुलकर खड़े नहीं हुए उनके नाम क्यों लिखे जाएं।
इन तीन महानुभाव में से एक ने तो शहर के सामाजिक सद्भाव को भी बिगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अप्रत्यक्ष रूप से इन तीनों को अपने-अपने आरएसएस पर किए गए खर्च का बड़ा गुमान था। वर्ष 2023 में पूरे साल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अमर अग्रवाल एवं उनकी टीम ने पूर्व तय कार्यक्रमों के अनुसार अपना मूवमेंट चलाया। प्रेस से बेहतर से बेहतर संबंध स्थापित किये। और अपनी बात रखी जहां तक संभव हो सका पत्रकारों के प्रश्नों का जवाब भी दिए ऐसे में जब पार्टी के भीतर से ही ना तो प्रतिस्पर्धा हो ना चुनौती मिले तब टिकट अमर अग्रवाल को ही मिले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। आश्चर्य इस बात का होना चाहिए कि भाजपा पार्टी बिलासपुर शहर के भीतर विधानसभा स्तर पर लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा का नितांत अभाव हो चला है। उलट सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में यह प्रतिस्पर्धा अपने ही विधायक को नुकसान पहुंचाने की हद तक आ गई है।