24hnbc स्थानीय निकाय बजट नहीं है का वक्तव्य देते महापौर..... और वार्ड में विकास का काम ना करा पाने के कारण पीटा पार्षद, कौन समस्या का समाधान
Wednesday, 23 Nov 2022 18:00 pm
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समाचार - नवंबर , 24
बिलासपुर। बिलासपुर शांत समझा जाने वाला शहर है माना जाता है कि यहां के अधिकांश बाशिंदे नियमों का पालन करने वाले हैं। ऐसे में एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को उसी के वार्ड के वे ही नागरिक पीट दे जिन्होंने उस चुनाव में मतदान किया जिसके परिणाम स्वरूप जनप्रतिनिधि नगर पालिक निगम बिलासपुर में सम्मानीय पार्षद बना, तो चिंता स्वभाविक है और यह समझने को विचार करने की जरूरत है की आम जनता और निर्वाचित जनप्रतिनिधि के बीच तनाव क्या मारपीट तक पहुंच जाए। बुधवार को निगम में बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल के कई पार्षद निर्वाचित जनप्रतिनिधि पार्षद के साथ हुई मारपीट पर उचित कार्यवाही का ज्ञापन लेकर पुलिस अधीक्षक से मिले, मांग रखी सक्षम धाराओं में एफआईआर दर्ज हो, अन्यथा पीड़ित पार्षद मुख्यमंत्री से मिलकर इस्तीफा देने तक का विचार कर रहा है। निश्चित ही यह स्थिति विचित्र है जिस राजनीतिक दल की सत्ता स्थानीय निकाय में भी हो, राज्य में भी हो उसी के पार्षद पुलिस कार्यवाही से संतुष्ट हो. . ...
वार्ड जहां यह घटना हुई के नागरिकों से बात करने पर पता चला कि एक क्षेत्र विशेष के नागरिक पार्षद के घर पहुंचे थे उन्होंने पार्षद के घर का दरवाजा खटखटाया पार्षद स्वयं बाहर आए और नागरिकों ने अपने क्षेत्र में रोज ना बनने की बात कही बताते हैं कि पार्षद ने 90 दिन में रोड बन जाने, टेंडर हो जाने की बात कही.... इसके बाद जनप्रतिनिधि और आमजन के बीच मामला सौहार्दपूर्ण से बेअदबी तक फिर मारपीट में बदल गया।
पूरा मामला सीसीटीवी में कैद है पोलिस परंपरा अनुसार जांच की बात कह रही है। इसी महीने नगर पालिक निगम बिलासपुर की सामान्य सभा भी हुई थी प्रत्येक सामान्य सभा से विपरीत इस बार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बीच सौहार्दपूर्ण प्रश्न उत्तर हुए पर जो बात खलती रही वह महापौर के वक्तव्य से वे एक ही बात बार-बार कह रहे थे बजट नहीं हैं, पैसा फंड आने पर काम होगा। ऐसे में जनता काम के लिए किससे उम्मीद रखें।
नागरिकों के सब्र का पैमाना वहां छलका है जो पूर्व में पृथक नगर पंचायत क्षेत्र हुआ करता था इस क्षेत्र में जो नागरिक निवास करते हैं या करने की इच्छा रखते हैं वह इन दिनों 1400 रुपए प्रति स्क्वायर वर्ग फुट की कीमत पर अवैध प्लाटिंग के भूखंड क्रय करते हैं। यहां तक कि क्षेत्र का विकास जिसकी उम्मीद बहुत ज्यादा है में मुख्य मार्ग पर बहुमंजिला शॉपिंग मॉल का बुकिंग 1 साल पहले हुई और जिस भूखंड को दिखाकर एफएम नाम की कंपनी बुकिंग ले रही थी उस प्लाट का डायवर्सन भी नहीं था। ऐसे में समझा जा सकता है कि नगर पालिक निगम बिलासपुर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि और अधिकारी कर्मचारी अपने कर्तव्यों के प्रति कितने ईमानदार हैं।
15 वर्ष तक स्थानीय विधायक डॉक्टर रमन के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे खजाने और नगरी निकाय के अलावा आबकारी की चाबी उन्हीं के पास रही, शहर का तमाम नियम विपरीत विकास वर्षों तक बिना मास्टर प्लान का शहर सैकड़ों की संख्या में तालाब का गुम जाना इन्हीं की मेहरबानी से हुआ। हालात अब इतनी बिगड़ चुकी है कि नागरिक अपने निर्वाचित पार्षद को पीटने को उतारू। कुछ दिन पहले एक भाजपा पार्षद ने आत्महत्या कर ली थी भले ही कारण कुछ बताया गया पर जो जन चर्चा रही वह यह थी कि भाजपा शासन के समय निगम में मकान आवंटन के लिए फर्जी रसीदें कटी और पात्र को मकान नहीं मिले अपात्रों को मिल गए । नागरिकों ने दबाव बनाया या तो पैसा दो या फिर मकान जांच में पता चला दी हुई रसीद ही फर्जी है परिणाम एक समय के प्रभावी पार्षद ने जीवनलीला ही समाप्त कर ली। अब तीन स्थितियां सामने हैं एक नगरीय खजाने में पैसा नहीं हाथ जोड़कर अपनी बात रखते महापौर जनता का काम ना कर पाने के कारण जनता से पीटते पार्षद और तीसरा भ्रष्ट आर्थिक तौर तरीकों के कारण जीवन समाप्त करने वाले पार्षद ऐसे में जनता क्या करें सत्ता बदल देना लोकलुभावन वादों के चक्कर में पड़ जाना हल नहीं हैं।
समस्या को नजरअंदाज कर के आगे बढ़ जाना ही उचित नहीं होगा किसी को तो खुलकर आगे आना ही होगा कहते हैं यदि आप समस्या का समाधान नहीं जानते तो स्वयं में समस्या है।