24hnbc किसान की आमदनी दोगुनी तभी तो कृषि उपकरण पर लगा जीएसटी
Tuesday, 19 Jul 2022 00:00 am
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। जीएसटी की संशोधित दरों के बाद अब भारत की स्वतंत्रता का दूसरा दौर कष्टकारी हो गया है। 5 साल में ही देखते देखते देश का वह वर्ग जो अपने न्यूनतम जरूरतों को पूरा करता था अब सरकार के लिए आएगा तबका हो गया है। डॉलर के मुकाबले रुपए का पतन लगातार जारी है जापान की रेटिंग एजेंसी का कहना है कि 2023 में भारत की विकास दर 4.7 प्रतिशत से अधिक नहीं होने वाली है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार घट रहा है 8 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में 8 अरब डालर से घटकर 580.25 अरब डालर हो गया 15 महीनों में यह सबसे कम है। इससे पहले अप्रैल महीने में विदेशी मुद्रा भंडार में 11.17 अरब डालर की गिरावट आई थी। विदेशी मुद्रा भंडार के साथ सोनभंडार पर भी असर पड़ रहा है और यह 40. 42 अरब डॉलर से गिरकर 39.19 अरब डालर हो गया। इनसब परिस्थितियों के बीच जब आटा, गेहूं, दाल, चावल पर जीएसटी लागू कर दिया गया तब सरकार की वह नियत खुलकर सामने आ गई कि देश का एक बड़ा वर्ग जो अपने न्यूनतम जरूरतों को भी बड़ी मुश्किल से पूरा करता है उस पर टैक्स की मार लगाई जाए इससे सरकार का जन विरोधी चेहरा सामने आता है। जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े सब के द्वारा देखे जा सकते हैं दिल्ली क्षेत्र के जीएसटी कलेक्शन के मुकाबले महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार जैसे राज्यों का जीएसटी कलेक्शन बेहद कम रहता है सीधी सी बात है न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर सकने वाली जनसंख्या इन्हीं क्षेत्रों में रहती है और सर्वाधिक आय समूह वाली संख्या दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में रहती है पहले भारत की सरकार का आयकर का तरीका यह था अधिक आय वालों से लेकर उन लोगों के बीच बाजना जिनकी आय कम है किंतु जीएसटी ने टैक्स का यह तरीका समाप्त कर दिया अब तो नॉन ब्रांडेड आटे पर भी टैक्स है और यह आम आदमी से वसूला जाता है। सरकारी आंकड़े यही बताते हैं कि रोजगार के अवसर कम हुए हैं आम आदमी को जीना खाना कठिन हो गया है उसके बावजूद 18 जुलाई से जीएसटी का स्लैब बदला जब 5 वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री ने रात के 12:00 बजे संसद का सत्र बुलाया वन नेशन वन टैक्स की बात करते हुए जीएसटी को लागू किया और कहा कि निम्न 36 वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है देखते देखते उन्हीं 36 वस्तुओं पर टैक्स लग गया। अपने ही स्वर्गवासी वित्त मंत्री के कथन को सरकार ने झूठा करार देगी। अब तो किसान की आय देखते देखते दोगुनी हो गई है तभी तो कृषि उत्पाद वाले उपकरणों पर 18% जीएसटी लग गया है और इसी कृषि क्षेत्र पर भारत की सर्वाधिक जनता निर्भर करती है।