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24hnbc खादी खाकी की मिलीभगत से चल रहा चल रहा कोयले का अवैध कारोबार
Saturday, 25 Dec 2021 18:00 pm
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । खादी व खाकी के साथ एसईसीएल के कुछ अधिकारी और कर्मचारी के संरक्षण से ही चलता है अवैध कोयला चोरी का कारोबार एसईसीएल के पास 78 कोयला खदान ऐसी है जिनमें खनन हो या ना हो चोरी का कोयला खदान से और आसपास की साइडिंग से हमेशा निकलता है तब ही तो बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे पर क कोल डंपिंग के प्लॉट आज भी काम कर रहे हैं अन्यथा आप स्वयं ही समझें कि जब खदान से कोयला निकलकर सीधे निकल कर या तो फैक्ट्री को जाना है अथवा वाशरी को तब रास्ते में कोल प्लाटिंग का काम क्यों किया जा रहा है। कोल तस्करी का काम साइकल से लेकर डंपर तक में होता है कुछ का कहना है बूंद बूंद से सागर भरता है एक छोटी सी साइकल जिस पर कोयले की तस्करी होती है से पुलिस के नाम पर 100 रूपये लिया जाता है बाइक वालों से दो से तीन सौ वसूला जाता है अब अंदाज लगा ले कि जब कोयले की यही तस्करी डंपर तक आती है तो कमाई का रेशियो किस तेजी से बढ़ता होगा। इन दिनों कुसमुंडा खदान से कोयले की तस्करी जोरों पर है कोयला ढुलाई के लिए जो डीओ निकलता है उसे से डेढ़ गुना ज्यादा लादा जाता है जिसका सीधा अर्थ है कि यदि डीओ 20 टन का है तो लादान 30 टन होगा अब 10 टन कोयला अतिरिक्त है डंपर से ट्रांसफर करके इसे या तो ट्रैक्टर पर लाया जाएगा और ट्रैक्टर वाला इसे अवैध रूप से ईंट भट्टे वालों को दे देगा ईंट भट्ठा कहीं का भी हो सकता है कोयले की चोरी का खेल कागजों पर भी होता है कोयला खदान से निकलता कहीं के लिए है और पहुंचता कहीं और है 2020 में एक ऐसा ही मामला सामने आया था जब कोयला छत्तीसगढ़ से लोड होकर कैमोर मध्य प्रदेश जाना बताया गया किंतु कैमोर ना पहुंचकर वह छत्तीसगढ़ में ही खप गया यह मामला खुली खदान का था फर्जी दस्तावेज राजेश कोटवानी चंद्रशेखर नामदेव के नाम से बनाए गए थे ऐसे मामलों में जांच तो होती है किंतु परिणाम कुछ भी नहीं निकलता। एसईसीएल की अंडर ग्राउंड मीनिंग और ओपन कास्ट माइनिंग दोनों पर कोयले की चोरी होती है रायगढ़ क्षेत्र भी इन दिनों कोयला चोरी का गढ़ बन गया है एसईसीएल के कुछ अधिकारी बताते हैं कि कोयला तस्करी के मामले कागजों के साथ बढ़ रहे हैं और जामपाली खदान के कुछ कर्मचारी बाहरी तस्करों से दिर्घी संधि कर शासन को चूना लगा रहे हैं इन सब मामलों में शिकायतों की अच्छी खासी फैरिहस्त तैयार है होता कुछ नहीं है वर्ष 2018 में ही कोयला खदानों से चोरी को रोकने के लिए खनिज विभाग ने पूरा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया था और कोयला संबंधी पूरी जानकारी जीपीएस सिस्टम पर रख लिया था खनिज परिवहन करने वाली गाड़ियों कुछ दिन जीपीएस लगाए गए किंतु अब फिर से पुराने ढर्रे पर काम है 70 रजिस्टर्ड कोल वाशरी हैं बताते की राल्टी पर्ची जारी होती है कोयला चोरी रोकने, दो स्थानों पर निगरानी होती है पहला खदान पर जब लोडिंग होती है इसकी मॉनिटरिंग मुख्यालय में रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस के जरिए होनी चाहिए और दूसरा स्तर की कोयला लदा हुआ ट्रक निर्धारित रूट से निकल रहा है कि नहीं कहां कितनी देर रुका दूसरे स्तर की निगरानी चल रही है पहले स्तर की निगरानी में कमी हो गई है तभी तो जब कभी भी दूसरे स्तर पर कोयला चोरी होता है अथवा कोयले की क्वालिटी खराब होती है तो मामला खुलता है पहले स्तर पर निगरानी कमी के बावजूद शिकायतें नहीं होती।