24hnbc नान घोटाले पर कांग्रेसी नेताओं के सूर हैं बदले-बदले ईडी गंभीर आरोप लगाने के बाद सुनवाई से गायब
Wednesday, 24 Nov 2021 18:00 pm
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । एक समय छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाले नान घोटाले की सुनवाई से इन दिनों कन्नी काटी जा रही है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री तथा कुछ अधिकारियों पर यह आरोप लगाया था कि एक आईएएस अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में 23 नवंबर को सुनवाई होनी थी सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था जिस पर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में यह मामला कॉज लिस्ट में नंबर एक पर रखा गया था किंतु सुनवाई तिथि पर सॉलीसीटर जनरल अनुपस्थित थे। मामला टल गया।
गौरतलब है कि 36 हजार करोड़ का नान घोटाला भाजपा सरकार के समय कांग्रेस ने खूब जोर शोर से उठाया एक आईएएस अधिकारी के अग्रिम जमानत पर भी न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगे थे इस अग्रिम जमानत के स्वीकृत होते ही अधिकारी को दोबारा महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिल गई यहां तक की अधिकारी ने न्यायालय में उल्टे अपने निलंबन को चुनौती भी दे डाली ईडी ने आरोप लगाया था कि कथित घोटाले के 2 आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी जिसमें कानून विभाग से जुड़े अधिकारी भी हैं बचाने की साजिश कर रहे हैं ईडी ने छापेमारी के दौरान पकड़े गए व्हाट्सएप चैट को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने पढ़ कर सुनाया भी था। चैट से पता चलता था कि कानून अधिकारी की मिलीभगत से आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई उस वक्त की खबरों में तो यहां तक दावा किया गया था कि जिस न्यायालय से अग्रिम जमानत प्राप्त हुई उनकी सेवानिवृत्ति के कुछ ही दिन शेष थे और बतौर पारीतोशन लंबे चौड़े पैकेज की चर्चा भी थी। एक समय था जब कांग्रेस के नेता वर्तमान मुख्यमंत्री इन दोनों अधिकारियों के गिरफ्तारी के लिए देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी तक लिखते थे अब जाने ऐसा कौन सा ट्विस्ट आ गया कि न केवल उन्हीं अधिकारियों को अग्रिम जमानत प्राप्त हो गई और आईएएस अधिकारी को अच्छी खासी संसदीय काल, तकनीकी, शिक्षा रोजगार, लोक स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा जैसे विभाग में प्रमुख सचिव का ओहदा भी मिल गया। असल में छत्तीसगढ़ में नान घोटाला और आबकारी का घोटाला, झीरम कांड भारतीय जनता पार्टी के दामन पर गंभीर दाग है। कांग्रेस कि मुख्य विपक्षी दल था और इन घोटालों को उसने अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया था किंतु सत्ता में आने के बाद से पार्टी नेताओं के सुर बदल गए।