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24hnbc दिवाली पूजन के पूर्व अकेले बैठे और सोचे कि 1 वर्ष पूर्व हमने क्या खोया....
Wednesday, 03 Nov 2021 18:00 pm
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। दिवाली त्योहार भारत देश के सबसे बड़े वर्ग द्वारा मनाई जाती है। इस तरह यह बहुसंख्यकों का त्यौहार है। त्यौहार में उमंग विशेषकर फटाका जलाने की कुछ ऐसी है जिसमें जाति, धर्म, वर्ग भेद टूट चुका है। इस त्यौहार का आध्यात्मिक, दार्शनिक पक्ष यह है कि जीवन से अंधकार दूर होता है और हम उजाले की ओर बढ़ते हैं। सीधे शब्दों में तम सो मां ज्योतिर्गमय। इस साल की दिवाली इस मायने में अलग है कि सभ्यता ने कोविड काल का स्याह पक्ष देखा है। यह वह समय है जब ऐसे कई अवसर आए जब हमने स्वयं को सभ्य मानने की स्थिति को छोड़ दिया हमने देखा है इसी शहर में कैसे एक ही मुक्तिधाम में दर्जनों मृत देह को जलते हुए, जगह कम पड़ी तो खुली जगह पर जाते हुए और उन शहरों के बारे में भी सुना जहां नागरिकों ने किसी मजबूरी में ही सही मृत देह को दाह के स्थान पर नदी में बहा दिया, भले ही आज हम इसे देह का विसर्जन करना कह दे, हद तो तब हो गई जब मृत शरीर बहते दिखा तो उसे छुपाने के लिए रेत पार्ट दी गई। एंबुलेंस वालों की लूट देखी डकैती देखी हजार का ऑक्सीजन सिलेंडर 15-20 हजार में बिकते देखा और इन्हीं हाथों ने खरीदा भी आज इसी शहर में कई सौ परिवारों की दिवाली अंधकार में है क्योंकि उन्होंने कोविड में अपनों को खोया है। हमने बेहद आसानी से पटाखे की गूंज में लाइट और लेजर शो की आड़ में उन सब प्रश्नों के उत्तर सरकार ने पूछे बिना और सरकार दुष्टतापूर्वक जवाब दिए बिना आगे बढ़ना चाहती है। नागरिकों का मुंह बंद करने के लिए दिवाली के ठीक पहले दिवाली के दिन ही कुछ रुपए का टैक्स कम कर के हमें बहला रही है यदि 2 दिन पूर्व उपचुनाव के रिजल्ट का धक्का नहीं लगा होता तो भक्तों के कुतर्क तो बढ़ती महंगाई को समाज के लिए सकारात्मक बता रहे थे आज जब हम घर पर या कहीं पर भी दिवाली का पूजन करें तो उन परिवारों के लिए दो पल जरूर सोचें जिन्होंने कोविड में अपना बहुत कुछ खो दिया।