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24HNBC आउट सोर्सिंग के भरोसे कोयले का उत्पादन
Tuesday, 06 Apr 2021 18:00 pm
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24HNBC बिश्रामपुर  एसईसीएल समेत कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में सालाना 14 हजार कोयला कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले पांच साल में कोल इंडिया का मेन पावर 70 हजार घट गया है। मेन पावर घटने की यही स्थिति रही तो वर्ष 2025 तक कोल इंडिया में एक लाख कर्मचारी शेष रह जाएंगे। यह स्थिति कोल इंडिया के अस्तित्व के लिए संकट जैसा हैकोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के वक्त कोल इंडिया का मेन पावर सात लाख से ज्यादा था। जो घटते घटते वर्तमान में करीब दो लाख 96 हजार शेष रह गया है। आंकड़े बताते हैं कि एसईसीएल समेत कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में सालाना करीब 14 हजार कोयला कामगार सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मेन पावर के घटते ग्राफ के अनुसार वर्ष 2025 तक कोल इंडिया में एक लाख मेन पावर शेष रहने का अनुमान है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वषोर् में कोल इंडिया में कामगारों की संख्या 70 हजार घटी है। लगातार घटते मेन पावर की तुलना में नई बहाली नहीं हो रही है। वर्तमान में कोल इंडिया में माइनिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। स्वीपरों की बहाली लंबे समय से बंद है। आउटसोसिर्ग के दौर में कोयला उत्पादन में भी 60 से 70 फीसदी जिम्मेदारी ठेका मजदूरों पर निर्भर है। किसी किसी कोयला कंपनी में तो 80 फीसदी कोयला उत्पादन कार्य में ठेका मजदूर लगे हैं। देशभर के पब्लिक सेक्टर में कोल इंडिया ही ऐसी कंपनी है, जहां आज भी कोयला कामगार के मौत के तत्काल बाद उसके आश्रितों को नौकरी देने का प्रावधान है। जमीन अधिग्रहण के बदले भी इस कंपनी में नौकरी देने का प्रावधाननिर्धारित है, हालांकि वर्तमान में इसमें बदलाव करते हुए इसे काफी पेचीदा बना दिया गया है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे कोयला कामगारों को मेडिकली अनफिट कर उनके आश्रितों को नौकरी दी जाती है, हालांकि पूर्व की तुलना में मेडिकल अनफिट कर नौकरी देने का प्रावधान लगभग समाप्त नजर आने लगा है। स्पेशल फीमेल वीआरएस के तहत महिला कामगारों के आश्रित पुत्र को भी नौकरी देने का प्रावधान था। जिसे फिलहाल बंद कर दिया गया है।उत्पादन में हो रहा लगातार इजाफा-वर्ष 1972-73 में राष्ट्रीयकरण के दौरान कोल इंडिया का मेन पावर करीब सात लाख था। उस दौरान कोल इंडिया का उत्पादन मात्र सात मिलियन था, जो वर्तमान में कोल इंडिया के सहायक कंपनी सीसीएल के सालाना उत्पादन के समतुल्य है। वर्तमान में जब कोल इंडिया का मेन पावर घटकर दो लाख 96 हजार शेष रह गया है, ऐसी स्थिति में आउटसोसिर्ग के दौर में कोल इंडिया का सालाना उत्पादन 650 मिलियन टन पहुंच गया है।कोल इंडिया में मेन पावर के लगातार घटने से ट्रेड यूनियनों के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है कोल सेक्टर की सेंट्रल ट्रेड यूनियनें इस बात को लेकर चिंतित है कि जब मैन पावर घटकर एक लाख शेष रह जाएगा तो ट्रेड यूनियनों की बारगेनिंग क्षमता घट जाएगी। धीरे धीरे जुझारू तेवर के मजदूर भी सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं।