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65 दिन बीत गए नहीं पहुंचे जांच अधिकारी वाह रे जिला शिक्षा कार्यालय

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समाचार -
बिलासपुर, 13 जनवरी 2023। जिला शिक्षा अधिकारी किसी शिकायत को कितनी गंभीरता से लेते हैं इसका अंदाज इस बात से लगता है कि शिकायतकर्ता भले ही वह जिम्मेदार पत्रकार हो, लगातार किसी स्कूल की खामियों को उजागर कर रहा हो पर भी पहले तो जांच कठिन है यदि जांच आदेश हो जाए तो उस आदेश के बावजूद जांच अधिकारी जांच आदेश को कूड़े में डालना बेहद आसान समझते हैं। जिसने शिकायत की है वह या तो शिकायत करके भूल जाए और यदि बार-बार अपनी शिकायत पर जानकारी लेने के लिए कोशिश करेगा तो उसे ब्लैकमेलर कहने से व्यवस्था परहेज नहीं करेगी। हम बात कर रहे हैं मौका क्षेत्र में संचालित प्रयास हाई सेकेंडरी स्कूल की यहां पर वर्ष 2022 में ग्यारहवीं के 1 विद्यार्थी को रात के 12:00 बजे स्कूल के प्रिंसिपल ने स्टंप से पीटा, प्रताड़ित छात्र ने पुलिस में शिकायत की पुलिस ने मामले को संज्ञान लिया और साधारण धाराओं में कार्यवाही कर दी बाद में स्कूल के खिलाफ विस्तृत शिकायत भी किसी ने की शिकायतकर्ता का दावा है कि स्कूल में कोचिंग के नाम पर बच्चों को एडमिशन दिया जाता है अटेंडेंस की बाध्यता नहीं है स्कूल डमी स्वरूप है असली धंधा कोचिंग है स्कूल के स्टॉप मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं आदि.... जिला शिक्षा अधिकारी ने 7 नवंबर 2022 को दो अलग-अलग स्कूल के प्राचार्य को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए जांच के आदेश दिए और आदेश प्राप्त होने के सात दिवस के भीतर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा जांच आदेश निकले 65 दिवस से ज्यादा हो चुका पर जांचकर्ताओं ने जांच करने का प्रयास ही नहीं किया इस संदर्भ में जांच अधिकारी से जब पूछा गया तो उन्होंने अन्य कार्यों में व्यस्त होने की बात कही और कहा कि जल्दी करा लेते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी कुछ ऐसा ही रवैया अख्तियार किया मोपका क्षेत्र के इस डमी स्कूल के अतिरिक्त बिल्हा क्षेत्र में ऐसे कई स्कूल संचालित हैं जहां पर छात्रों का दाखिला केवल नाम मात्र को है असल में वे छात्र छत्तीसगढ़ से बाहर राजस्थान कोटा में कोचिंग कर रहे हैं और यहां पर मोटी फीस देकर डमी स्वरूप पढ़ाई करते हैं केवल परीक्षा देने आएंगे ऐसे में एक ही स्कूल में 2 वर्ग विभाजित होना एक वह छात्र जो नियमित तौर पर स्कूल आता है शिक्षा ग्रहण करता है और दूसरा वह वर्ग जो मोटी फीस देता है स्कूल नहीं आता है केवल परीक्षा देने आता है इसे शिक्षा नीति का डबल स्टैंडर्ड ही तो कहा जाएगा।