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बेरोजगारों को अब संयास भी एक विकल्प है, व्यापारी द्वारा दिया गया विज्ञापन

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समाचार -
बिलासपुर, 17 मार्च 2023 (24hnbc)। 
हमारे देश में इन दिनों बेरोजगारी चरम पर है देश का नेतृत्व जब युवाओं को पकौड़ा और समोसा बेचने की सलाह दे तो ऐसे में देश भर के हिंदी पट्टी अखबारों के फ्रंट पेज पर यदि सन्यास आवाहन बारहवीं कक्षा उत्तरण, स्नातक, स्नातकोत्तर युवक-युवतियों से देश के दो बड़े व्यवसाई एक रामदेव यादव और दूसरे बालकृष्ण आवाहन कर रहे हैं कि वे राष्ट्र निर्माण के लिए सन्यासी हो जाएं। इतना ही नहीं विज्ञापन में लिखा है हिंदू नव वर्ष के चैत्र प्रतिपदा 22 मार्च से 30 मार्च 2023 रामनवमी तक सन्यास महा उत्सव में सन्यासी बनने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं। वह इस विज्ञापन में यह भी बता रहे हैं की पतंजलि विश्वविद्यालय में कौन-कौन सी डिग्री दी जा रही है। और आवाहन कर रहे हैं कि वेद धर्म, योग धर्म, सनातन धर्म को विश्व धर्म बनाने के लिए जीवन आहूत करने वाले भाई-बहनों के पूरे जीवन का योग क्षेम पतंजलि संस्था करेगी। विज्ञापन में कहा गया है किसी भी जाति प्रांत का माता-पिता जो अपने प्रतिभावान बेटा बेटियों को श्रद्धेय स्वामी जी अर्थात रामदेव यादव व पूज्य आचार्य अर्थात बालकृष्ण के सानिध्य में शिक्षा दीक्षा दिला कर अपने कुल वंश का नाम रोशन करने के साथ-साथ ऋषियों, सनातन धर्म के लिए सन्यासी बने। वे लोग जो अपने माता-पिता को न समझा पाए और अनुमति ना मिले तो बिना अनुमति भी आ जाएं, क्योंकि अधिकांश सन्यासी ऐसे ही तैयार हुए हैं। विज्ञापन में दो व्यापारियों के अतिरिक्त माफी वीर के रूप में प्रसिद्ध सावरकर, गोलवलकर, विवेकानंद, महर्षि दयानंद के फोटो भी हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत में ठोक के भाव में सन्यासी भर्ती की विज्ञापन निकली हो इसके पहले ऐसी ठोक भर्ती महर्षि महेश योगी, आचार्य रजनीश ने भी की थी। सवाल उठता है कि युवा क्या बेरोजगारी के आलम में सन्यासी बन जाएं। मजबूरी में ग्रहण किया गया सन्यास और डकैत के बीच में विभाजक रेखा क्या होगी। चंबल में मजबूरी में डकैत बनने वालों की लंबी सूची है। कोई अपने अपने को बाबा कहता था किसी के बारे में उसके समर्थक यह तर्क देते थे कि वह सेठ साहूकार को लूट कर लूट का माल गरीबों के बीच बांटता है इसलिए पूजा बब्बा है, किसी डकैत के बारे में यह तर्क दिया जाता था कि वह लूट के माल से मंदिर में कलश स्थापित करता है क्या इन सब को से लूट को चाहे वह साहूकार ने की हो या डकैत ने जायज ठहराया जा सकता है। इसी तरह एक से अधिक बार रजनीश ने अपने प्रवचनों में कहा है भारत देश का दुर्भाग्य है कि यहां अव्वल दर्जे की मेघा सन्यास की ओर चल देती है। उदाहरण महावीर स्वामी और गौतम बुध. .... भारत का एक मिथ यह भी रहा कि हमारे यहां वेदों की ओर चलो का नारा भी लगाया गया और नारे लगाने वालों ने जमकर भौतिक संपन्नता प्राप्त की इसी तरह व्यापारी रामदेव यादव जो शेयर मार्केट से लेकर जींस बेचने के धंधे तक उतारू हैं ने अब राष्ट्र निर्माण के नाम पर युवाओं को छलने के लिए सन्यास आवाहन का विज्ञापन दे दिए जिस देश में सैनिक की नौकरी 4 साल की हो जाए वहां राष्ट्र निर्माण के लिए सन्यास कोई बड़ी बात नहीं है। 

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